सेना ने मरा समझ लगा दी थी पेंशन, 7 साल होश गंवा मांगता रहा भीख

punjabkesari.in Wednesday, Jun 15, 2016 - 06:20 PM (IST)

बहरोड़: राजस्थान में 7 साल पहले कार एक्सीडेंट में सेना में हवालदार धर्मवीर यादव की याददाश्त चली गई थी, जिसके बाद वे लापता हो गए। अलवर जिले के भीटेड़ा कस्बे के निवासी धर्मवीर इस कारण न घर पहुंचे और न वापस सेना में ड्‌यूटी ज्वॉइन की। वे पागलों की तरह दर-दर भटकते रहे। सेना ने भी उन्हें मरा मानकर उनकी पत्नी मनोज यादव के नाम पेंशन भी जारी कर दी। 

कैसे लौटी याददाश्त
इस बीच हरिद्वार में भटक रहे धर्मवीर को पांच दिन पहले एक बाइक सवार ने टक्कर मार दी। सिर में गहरी चोट लगी, पर याददाश्त लौट आई। इलाज कराकर वह रात करीब एक बजे अपने घर पहुंचे, तो सब अचंभित रह गए। किसी को भरोसा नहीं हो रहा था। घरवालों की खुशी इतनी कि आंसू रोके नहीं रुके। पिता कैलाश यादव और मां संतरा देवी ने धर्मवीर को गले लगा लिया। सात साल बाद घर लौटे धर्मवीर की कहानी पर हर शख्स हैरान है। 

2009 में हुआ था हादसा
बता दें कि धर्मवीर अब 39 साल के हैं। उनके दो बेटी 19 वर्षीया संगीता और 17 साल की पुष्पा हैं। धर्मवीर 1994 में थल सेना के 66 आम्र्ड कोर में सिपाही के पद पर भर्ती हुए। देहरादून में 27 नवंबर 2009 की रात ड्‌यूटी जाते समय आर्मी की एंबेसेडर कार डिवाइडर से टकरा कर पलट गई। तबसे उनका कोई अता-पता नहीं था। सेना के अफसरों ने तीन साल बाद डेड अनाउंस कर धर्मवीर के परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट, पीएफ, ग्रेच्युटी, लीव बेलेंस सैलरी स्वीकृत कर दे दी।

धर्मवीर ने सुनाई आपबीती 
धर्मवीर ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि उसे बस यही याद है कि वह देहरादून, रूड़की, हरिद्वार में पागल व भिखारी की तरह घूमता रहा। जिस शख्स ने उसे पांच दिन पहले हरिद्वार में बाइक से पीछे से टक्कर मारी, तो मुझे याद आया कि मैं धर्मवीर हूं और बहरोड़ का रहने वाला हूं। फिर बाइकर ने उसे पांच सौ रुपए देकर दिल्ली की बस में बैठा दिया। 


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