HDFC में ₹500 में खुला था खाता, एक दिन में निकाले गए 3.33 करोड़ रुपये! अब छह राज्यों की पुलिस जांच में जुटी
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 08:18 AM (IST)

नेशनल डेस्क: नई दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में स्थित एक साधारण-सा खाली फ्लैट अब एक हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड की जड़ बन गया है। इस फ्लैट के बाहर कभी एक रहस्यमय नीला बोर्ड लटका करता था, जिसे आज कोई पहचानता नहीं — न ये पता है कि उसे किसने लगाया और न ही ये कि वो कब और क्यों हटा दिया गया। लेकिन अब यही फ्लैट एक 3.72 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के केंद्र में है, जिसने बैंकिंग सिस्टम और सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।
कैसे खुला फर्जी NGO के नाम पर अकाउंट?
2023 में HDFC बैंक की करोल बाग ब्रांच में ‘आजीविका फाउंडेशन’ नाम से एक सेविंग अकाउंट खोला गया — महज ₹500 की शुरुआती राशि के साथ। बैंक का कहना है कि खाते के लिए KYC नियमों का पालन किया गया था, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि कई महीनों तक खाता निष्क्रिय रहा और फिर 8 अगस्त 2024 को अचानक सिर्फ एक दिन में 1,960 ट्रांजैक्शन हुए, जिसमें ₹3.72 करोड़ जमा हुए और ₹3.33 करोड़ तुरंत निकाल लिए गए।
ठगी का शिकार कौन हुआ?
इस पूरे रैकेट का पहला खुलासा तब हुआ जब 78 वर्षीय रिटायर्ड आर्मी अफसर बीरेन यादव इसके शिकार बने। ठगों ने उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ नामक फर्जी कानूनी प्रक्रिया में फंसाया और डराकर अलग-अलग किश्तों में ₹1.59 करोड़ तक निकलवा लिए। यह रकम चार अलग-अलग बैंकों के ‘म्यूल अकाउंट्स’ में भेजी गई, जिनमें से एक यही HDFC अकाउंट भी था।
देशभर से जुड़े हैं ठगी के तार
अब यह मामला छह राज्यों की पुलिस की जांच के दायरे में है — जिनमें गुरुग्राम, हैदराबाद, मणिपाल, चेन्नई और कोलकाता शामिल हैं। जांच में पता चला है कि इन सभी जगहों पर ‘आजीविका फाउंडेशन’ के नाम पर साइबर ठगी के पैटर्न दोहराए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि इस संस्था का न तो कहीं कोई वैध रजिस्ट्रेशन मिला है, और न ही कोई कार्यालय। केवल एक फेसबुक पेज मिला, जिस पर ‘डॉ. अमरेंद्र झा’ नामक व्यक्ति का जिक्र है — जिसने पहले त्रिलोकपुरी में ऑफिस होने की बात मानी, लेकिन फिर पलट गया।
बैंक को तब होश आया जब...
जब खाते में केवल ₹38 लाख बचे थे, तब जाकर HDFC बैंक ने 'डेबिट फ्रीज' लगाकर अकाउंट को सील किया। अब बैंक ने यह स्वीकार किया है कि दो राज्यों की पुलिस उनसे संपर्क कर चुकी है, लेकिन मामला कोर्ट में होने के कारण वे ज़्यादा जानकारी साझा नहीं कर सकते।
क्या है 'डिजिटल अरेस्ट' ठगी?
इस नई किस्म की ऑनलाइन ठगी में साइबर अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डरा-धमका कर कहते हैं कि उनके खिलाफ कोई गंभीर मामला चल रहा है और उन्हें तुरंत वर्चुअल तरीके से 'हिरासत' में लिया जा रहा है। डर के मारे लोग खुद ही ठगों को OTP और बैंक डिटेल्स सौंप देते हैं।