कांग्रेस नेता रिजाल बोले-राष्ट्रपति की समझदारी से बच गया नेपाल ! वर्ना मिट जाता देश का अस्तित्व और भारत का बढ़ जाता बोझ
punjabkesari.in Monday, Nov 10, 2025 - 03:58 PM (IST)
Kathmandu: नेपाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने कहा है कि सितंबर में हुए Gen-Z प्रदर्शनों के दौरान राष्ट्रपति के हस्तक्षेप ने देश को एक बड़े संकट से बचा लिया। उनके अनुसार, यदि राष्ट्रपति ने उस समय कदम नहीं उठाया होता, तो नेपाल “अंतरराष्ट्रीय रूप से अलग-थलग” हो सकता था और हजारों लोग भारत-नेपाल की खुली सीमा पार कर शरणार्थी बनने को मजबूर हो जाते। रिजाल ने कहा, “हम एक पराया देश बनने की कगार पर थे। अगर ऐसा होता, तो हमारे पड़ोसी (भारत) को भी हमारी समस्या का बोझ उठाना पड़ता। शुक्र है कि राष्ट्रपति ने अपने विवेक और लंबे राजनीतिक अनुभव का इस्तेमाल किया और देश को एक बड़ी त्रासदी से बचाया।”
ये भी पढ़ेंः- अमेरिकी रिपोर्ट में Shocking खुलासाः चीन की सेना PLA बनी ‘सुपर फोर्स’, समंदर से आसमान तक बढ़ा खतरा
उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति का कदम न केवल संविधान की भावना के अनुरूप था बल्कि राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक भी था। “क्या यह सही था? हां, बिल्कुल। क्या यह संवैधानिक था? इस पर बहस हो सकती है। लेकिन अगर राष्ट्रपति केवल संविधान की शब्दशः व्याख्या करते, न कि उसकी आत्मा को समझते, तो शायद हालात बेकाबू हो जाते।” रिजाल ने माना कि सितंबर 8-9 के विरोध प्रदर्शनों में जनता का गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं था, बल्कि वह भ्रष्टाचार, असमानता और प्रशासनिक उदासीनता से भी उपजा था। “अगर हम लोगों की बात नहीं सुनते चाहे वो सोशल मीडिया बैन के विरोध की हो या भ्रष्टाचार की तो हम एक बड़ी गलती करते ” ।
ये भी पढ़ेंः- PIA का इंजीनियरों से बढ़ा विवाद ! कराची-लाहौर एयरपोर्ट पर हंगामा, उड़ानें रद्द होने पर फूटा हवाई यात्रियों का गुस्सा
रिजाल ने प्रदर्शनकारियों को तीन वर्गों में बांटा-राजनीति से निराश युवाओं की भीड़, लूटपाट करने वाले अवसरवादी तत्व, घटनास्थल पर बाद में जाकर मलबे में कुछ खोजने वाले लोग। उन्होंने कहा,“अगर हमारे समाज में दो वर्ग रह गए हैं एक जिसके पास सब कुछ है और दूसरा जिसके पास कुछ नहीं तो यह गुस्सा और असंतोष बढ़ना स्वाभाविक है।” पूर्व मंत्री ने जोर दिया कि अब नेपाल को विश्वसनीय और निष्पक्ष चुनाव कराने पर पूरा ध्यान देना चाहिए।“वर्तमान सरकार का एकमात्र जनादेश यही है कि वह निष्पक्ष चुनाव कराए। प्रधानमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी कैबिनेट के सदस्य रेफरी की तरह काम करें निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से।”
ये भी पढ़ेंः- माली में बिगड़े हालातः आतंकियों ने किया 5 भारतीयों का अपहरण, US-UK और जर्मनी ने जारी की सख्त एडवाइजरी
उन्होंने कहा कि सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और चुनावी संस्थानों को सशक्त करने पर काम करना चाहिए ताकि जनता का भरोसा बहाल हो सके। रिजाल ने अपनी पार्टी से भी आत्मनिरीक्षण करने की अपील की। “हमें जनता का संदेश समझना होगा। हमें स्वीकार करना चाहिए कि हमने अतीत में गलतियां कीं और अब उन्हें सुधारने का समय है।”मिनेंद्र रिजाल के अनुसार, राष्ट्रपति का हस्तक्षेप उस समय आवश्यक था, क्योंकि इसने देश को राजनीतिक अराजकता और मानवीय संकट से बचाया। अब नेपाल के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता लोकतंत्र की पुनर्स्थापना और संवैधानिक प्रक्रिया को मजबूत बनाना है।
