अमेरिका का न्यूक्लियर टेस्ट कौन सा देश रोकने का रखता है दम, सच्चाई जान हो जाएंगे हैरान
punjabkesari.in Wednesday, Nov 05, 2025 - 03:10 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में देश की परमाणु हथियार प्रणाली के कुछ नए परीक्षणों को मंजूरी दी है। वहीं, अमेरिकी ऊर्जा विभाग के प्रमुख क्रिस राइट ने यह स्पष्ट किया है कि इन परीक्षणों में फिलहाल किसी भी तरह का परमाणु विस्फोट शामिल नहीं होगा। लेकिन सवाल यह है कि अगर भविष्य में अमेरिका अचानक कोई नया न्यूक्लियर टेस्ट करता है, तो क्या दुनिया में कोई भी देश उसे रोक पाएगा? यह सवाल जितना सीधा लगता है, उतना ही जटिल है, क्योंकि इसमें अंतरराष्ट्रीय कानून, संधियां और निगरानी संस्थाओं की सीमाएं सामने आती हैं।
बड़ा मुद्दा है न्यूक्लियर टेस्ट
नाभिकीय परीक्षण यानी न्यूक्लियर टेस्ट हमेशा से अंतरराष्ट्रीय राजनीति का सबसे संवेदनशील और विवादित मुद्दा रहा है। अमेरिका जैसे देश, जिनके पास दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य और तकनीकी शक्ति है, अगर कोई नया परमाणु परीक्षण करते हैं, तो उन्हें रोक पाना किसी एक देश के लिए लगभग असंभव हो जाता है। इसके पीछे कई राजनीतिक और कानूनी कारण हैं।
कौन लगाता है रोक?
हर देश अपनी संप्रभुता (Sovereignty) के तहत यह तय कर सकता है कि उसके क्षेत्र में क्या होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty (CTBT) जैसी संधियों ने सभी प्रकार के परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने की कोशिश की है।
यह संधि 1996 से लागू है और इसके तहत CTBTO Preparatory Commission दुनिया भर में फैले टेस्ट डिटेक्शन सेंसर के माध्यम से परमाणु धमाकों की निगरानी करती है।
हालांकि यह संधि पूरी तरह से प्रभावी नहीं है, क्योंकि अभी भी कई प्रमुख देशों ने इसे रैटीफाई (Ratify) नहीं किया है। इस कारण यह सिर्फ तकनीकी निगरानी तक सीमित है, लेकिन इसमें किसी देश पर प्रत्यक्ष दंड या कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। इसलिए अमेरिका जैसी महाशक्ति पर इस संधि का सीधा असर नहीं पड़ता।
कहां की जा सकती है शिकायत?
अगर कोई देश अमेरिका के इस कदम का विरोध करना चाहता है, तो उसके पास कुछ अंतरराष्ट्रीय मंच हैं —
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)
अगर किसी देश या समूह को लगता है कि यह परीक्षण वैश्विक शांति के लिए खतरा है, तो मामला UNSC में उठाया जा सकता है। यहां निंदा प्रस्ताव, प्रतिबंध और अन्य राजनीतिक कदम संभव हैं, लेकिन वीटो पावर रखने वाले देशों (जैसे अमेरिका) के कारण कार्रवाई रुक सकती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA)
यहां कोई भी देश गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित कर सकता है और अमेरिका की आलोचना कर सकता है। महासभा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) से भी सलाह ले सकती है, लेकिन ICJ की प्रक्रिया प्रायः दोनों पक्षों की सहमति पर निर्भर करती है।
IAEA और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), पर्यावरण और मानवाधिकार से जुड़ी अन्य संस्थाएं इस मुद्दे पर रिपोर्ट जारी कर सकती हैं। हालांकि ये संस्थाएं किसी देश को सीधे नहीं रोक सकतीं, लेकिन वैश्विक दबाव बनाने में इनकी भूमिका अहम रहती है।
