इस देश में जाकर हो जाएंगे मालामाल... वहां के ₹350 भारत में आकर बन जाएंगे 1,10,000 के बराबर

punjabkesari.in Monday, Nov 10, 2025 - 05:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क : हर देश की मुद्रा की कीमतें अलग-अलग होती हैं। कुछ देशों की मुद्रा इतनी कमजोर होती है कि वहां भारतीय रुपया भी काफी ताकतवर माना जाता है, वहीं कुछ देशों की मुद्रा इतनी मजबूत होती है कि US डॉलर भी उसके मुकाबले कमजोर नजर आता है। ऐसा ही उदाहरण कुवैती दिनार (Kuwaiti Dinar – KWD) है, जिसे आज दुनिया की सबसे कीमती मुद्रा माना जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, एक कुवैती दिनार की कीमत लगभग 288.72 रुपये है, जो अमेरिकी डॉलर के हिसाब से लगभग 3.50 डॉलर के बराबर है। इसका मतलब है कि अगर कोई भारतीय कुवैत में 350 दिनार कमाता है, तो भारत में यह राशि करीब 1 लाख 10 हजार रुपये के बराबर होती है। इस तुलना से कुवैती दिनार की मजबूती और मूल्य का अंदाजा लगाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें - दो से ज्यादा क्रेडिट कार्ड रखने वालों के लिए बड़ी चेतावनी, भूलकर भी मत करना ये गलती

कुवैती दिनार क्यों है इतनी मजबूत?

कुवैत क्षेत्रफल में छोटा देश है, लेकिन इसकी अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत और स्थिर है। इसकी मुद्रा की ताकत कई कारणों से है:

1. तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्था: कुवैत की आमदनी का बड़ा हिस्सा तेल निर्यात से आता है।

2. कम आबादी और उच्च आय: कुवैत की आबादी कम है, जबकि प्रति व्यक्ति आय $35,000 से अधिक है।

3. कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (KIA): यह देश का वेल्थ फंड है, जो अंतरराष्ट्रीय निवेश से भारी लाभ कमाता है।

4. फिक्स्ड करेंसी पॉलिसी: कुवैत का मुद्रा सिस्टम डॉलर जैसी मुद्राओं में उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रहता है।

5. विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत: निर्यात आयात से कई गुना अधिक होने के कारण विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत रहता है।

भारतीय रुपया और कुवैती दिनार की तुलना

भारत की मुद्रा भारतीय रुपया (INR) है, जो विकासशील अर्थव्यवस्था की करेंसी मानी जाती है। भारत में बड़ी आबादी, व्यापार घाटा और आयात पर निर्भरता रुपये के मूल्य को सीमित करती है। इसके बावजूद, भारतीय रुपया एशिया की स्थिर मुद्राओं में से एक है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रा विनिमय दर और विदेशी भंडार को संतुलित रखता है। इसके अलावा, भारत आत्मनिर्भरता और निर्यात बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है, जिससे भविष्य में रुपये की मजबूती और बढ़ सकती है। कुवैती दिनार अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था, तेल आय और सुदृढ़ नीतियों की वजह से दुनिया की सबसे मूल्यवान मुद्राओं में शामिल है, जबकि भारतीय रुपया अभी विकासशील मुद्रा के रूप में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में काम कर रहा है।


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mehak

Related News