CIA अधिकारी का चौंकाने वाला खुलासाः इंदिरा के एक फैसले ने किया बेड़ागर्क ! वर्ना भारत के घुटनों पर होता पाकिस्तान
punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 05:54 PM (IST)
International Desk: अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व अधिकारी रिचर्ड बार्लो ने एक ऐसा खुलासा किया है जिसने भारतीय रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। बार्लो के अनुसार, 1980 के दशक की शुरुआत में भारत और इज़राइल ने मिलकर पाकिस्तान के कहुटा परमाणु संयंत्र पर हवाई हमला करने की योजना बनाई थी, ताकि पाकिस्तान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोका जा सके।लेकिन इस मिशन को अंतिम क्षणों में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रोक दिया। बार्लो का कहना है कि अगर वह हमला होता, तो आज का इतिहास कुछ और ही होता पाकिस्तान घुटनों पर होता, और दक्षिण एशिया में परमाणु खतरे की कहानी कभी नहीं लिखी जाती।
क्या था “ऑपरेशन कहुटा” का प्लान?
बार्लो ने बताया कि इस गुप्त योजना में भारत और इज़राइल की खुफिया एजेंसियां शामिल थीं। इज़राइल ने भारत को तकनीकी सहयोग देने और पाकिस्तान के कहुटा यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट पर हमला करने की पेशकश की थी। यह वही जगह थी जहाँ ए.क्यू. खान की निगरानी में पाकिस्तान अपना परमाणु बम तैयार कर रहा था।योजना थी कि भारत के वायुसेना बेस से उड़ान भरते हुए इज़राइली पायलट इस संयंत्र पर सटीक हमला करें और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट कर दें।
इंदिरा गांधी ने क्यों रोका ऑपरेशन?
बार्लो के अनुसार, भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस हमले को मंज़ूरी नहीं दी, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान होगा और अमेरिका इसका कड़ा विरोध करेगा। दरअसल, उस समय अमेरिका अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की मदद ले रहा था। वॉशिंगटन नहीं चाहता था कि इस्लामाबाद के खिलाफ कोई कार्रवाई हो, क्योंकि पाकिस्तान अमेरिका के लिए रणनीतिक सहयोगी बन चुका था।
रीगन प्रशासन और अमेरिकी दबाव
बार्लो ने बताया कि अगर इज़राइल ने हमला किया होता, तो अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन इज़राइल के प्रधानमंत्री मेनाचेम बेगिन के खिलाफ सख्त कदम उठाते। उन्होंने कहा,“मुझे लगता है, रीगन बेगिन का सिर काट देते अगर उसने ऐसा कुछ किया होता। क्योंकि इससे अफगान मोर्चे पर अमेरिका का पूरा खेल बिगड़ जाता।”इस अमेरिकी दबाव ने इंदिरा गांधी को भी सोचने पर मजबूर किया और भारत ने ऑपरेशन से पीछे हटने का निर्णय लिया।
पाकिस्तान ने कैसे उठाया फायदा?
हमला रुकने के बाद पाकिस्तान ने इसका पूरा फायदा उठाया। अमेरिकी मदद और खुफिया सुरक्षा के बीच कहुटा प्लांट तेजी से विकसित हुआ, और 1998 में पाकिस्तान ने अपने पहले परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया।बार्लो का कहना है कि अगर इंदिरा गांधी ने उस वक्त हरी झंडी दे दी होती, तो पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम कभी सफल नहीं होता।
इतिहास की सबसे बड़ी चूक
बार्लो ने कहा-“यह एक ऐसा मौका था जो हाथ से निकल गया। अगर भारत और इज़राइल ने वह ऑपरेशन अंजाम दे दिया होता, तो पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षा वहीं खत्म हो जाती।” आज जब पाकिस्तान के परमाणु हथियार दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा माने जाते हैं, तब इंदिरा गांधी का वह फैसला इतिहास के पन्नों पर एक “कूटनीतिक भूल” की तरह दर्ज हो गया है।
