न रुक रही बारिश, न थम रही मौतें: कर्नाटक में बाढ़ जैसे हालात और सरकार हाई अलर्ट पर
punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 04:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कर्नाटक इस समय एक बड़े प्राकृतिक संकट से गुजर रहा है। अप्रैल से अब तक की भीषण प्री-मॉनसून बारिश ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। हालात ऐसे बन गए हैं कि देश की टेक्नोलॉजी राजधानी कही जाने वाली बेंगलुरु भी जलमग्न हो चुकी है। अब तक बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में 71 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य सरकार को स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आपातकालीन मोड में काम करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्वयं राहत और बचाव कार्यों की निगरानी शुरू कर दी है।
125 साल का रिकॉर्ड टूटा: बारिश ने पुराने आंकड़े ध्वस्त किए
आंकड़े बताते हैं कि इस बार की बारिश ने बीते 125 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सामान्यतः मई माह में कर्नाटक में जहां लगभग 74 मिमी वर्षा होती है, वहीं इस साल यह आंकड़ा 219 मिमी तक पहुंच गया है — यानी औसत से 197% अधिक। पूरी प्री-मॉनसून अवधि में राज्य को सामान्य 115 मिमी के बजाय 286 मिमी वर्षा मिली है, जो 149% की बढ़ोतरी है।
प्राकृतिक आपदा ने ली जानें, उजाड़े घर
इस लगातार मूसलधार बारिश के चलते राज्य के कई जिलों में भयावह स्थितियां बन गई हैं। अकेले बिजली गिरने की वजह से 48 लोगों की मौत हुई है। अन्य कारणों में:
- पेड़ गिरने से – 9 मौतें
- मकान गिरने से – 5 मौतें
- डूबने से – 4 मौतें
- भूस्खलन से – 4 मौतें
- करंट लगने से – 1 मौत
इन आकड़ों से स्पष्ट है कि बारिश का कहर केवल एक आपदा नहीं, बल्कि जनजीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रहा है।
सरकार ने राहत की पहल की, मुआवजे का वितरण शुरू
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता दी है। इसके अतिरिक्त:
- 702 मवेशियों की जान गई
- 2,068 मकान क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें 75 पूरी तरह ढह गए
- 1,926 परिवारों को राहत राशि प्रदान की जा चुकी है
- 698 मामलों में पशु क्षति के लिए मुआवजा भी दिया गया है
राज्य सरकार ने स्थिति को गंभीर मानते हुए राहत कार्यों में तेजी लाने के आदेश दिए हैं।
खेती पर भी बरपा कहर, हजारों हेक्टेयर फसलें तबाह
इस आपदा की मार केवल शहरों तक सीमित नहीं रही, ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी इसकी चपेट में आ गई है। अब तक:
- 11,915 हेक्टेयर में खड़ी फसलें नष्ट हो गईं
- 3,462 हेक्टेयर बागवानी फसलें बर्बाद हुईं
- कुल मिलाकर 15,378 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि प्रभावित हुई है। मुआवजे की प्रक्रिया को कंपेंसेशन पोर्टल पर तेजी से अपलोड किया जा रहा है।
मौसम विभाग का अलर्ट: मानसून भी सामान्य से तेज रहने की आशंका
भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से अधिक रह सकता है। विशेषकर जून में कई जिलों में जोरदार बारिश की संभावना है, हालांकि कुछ दक्षिणी आंतरिक जिलों में इसका असर सीमित हो सकता है।
सरकार की तैयारी: अग्निशमन दल मोर्चे पर
आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने टीमें तैनात कर दी हैं:
- कोडागु, दक्षिण कन्नड़, उडुपी और उत्तर कन्नड़ में चार
- बेंगलुरु में एक रिज़र्व टीम
- SDRF और अग्निशमन विभाग की टीमें भी तैयार
- सरकार ने दावा किया है कि राहत एवं बचाव कार्यों में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी।
जलाशयों में पानी भराव बेहतर, जल संकट से राहत की उम्मीद
भारी बारिश के चलते राज्य के 14 प्रमुख जलाशयों में 316.01 TMC पानी इकट्ठा हुआ है, जो कुल क्षमता का 35% है। पिछले वर्ष इसी समय यह आंकड़ा मात्र 20% था। यानी आने वाले महीनों के लिए जल संकट की संभावना घटती नजर आ रही है।
यह सिर्फ बारिश नहीं, एक सामाजिक आपदा है
कर्नाटक में आई यह प्री-मॉनसून आपदा एक चेतावनी है — केवल जलवायु परिवर्तन की नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन की कमियों की भी। जान-माल का नुकसान, फसलों की तबाही और मानसून की अनिश्चितता राज्य को एक बड़े पुनर्विचार और तैयारी की ओर संकेत करती है।