कोरोना ने दिया पाक से भारत आई गीता को झटका, ऐन मौके पर टली परिवार की खोज यात्रा

punjabkesari.in Tuesday, Dec 01, 2020 - 04:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क: चर्चित घटनाक्रम में पाकिस्तान से पांच साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता की अपने बिछड़े परिवार की तलाश के लिए बुधवार से शुरू होने वाली यात्रा ऐन मौके पर टल गई है। इसकी वजह यह है कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल और इससे सटे तेलंगाना के इलाकों की इस प्रस्तावित यात्रा में उसके साथ जाने वाला सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। राज्य के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग की संयुक्त संचालक सुचिता तिर्की ने मंगलवार को बताया कि गीता अपने बिछड़े परिवार की खोज में मराठवाड़ा और इससे सटे तेलंगाना के इलाकों की यात्रा पर बुधवार को रवाना होने वाली थी। लेकिन उसके साथ जाने वाले एक सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के चलते यह सफर कम से कम पखवाड़े भर के लिए टाल दिया गया है। 

20 परिवार बता चुके हैं गीता को अपनी लापता बेटी 
अधिकारियों ने बताया कि गुजरे पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं। लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर युवती पर दावा साबित नहीं हो सका है। उन्होंने बताया कि इंदौर में दिव्यांगों की मदद से जुड़ी आनंद सर्विस सोसाइटी गीता की देख-रेख कर रही है। सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है। इस संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल और इससे सटे तेलंगाना में हो सकता है जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थी।

30 साल के आस-पास है गीता की उम्र
फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है। वह बचपन में गलती से ट्रेन में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी। पाकिस्तानी रेंजर्स ने गीता को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा पाया था। तत्कालीन विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में एक गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था। 


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Anil dev

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