भरे नहीं पुलवामा के जख्म! डर के कारण पुलवामा छोड़ रहे हैं प्रवासी मजदूर, बोले- न जाने कौन और कहां हमला कर दे...

punjabkesari.in Thursday, Apr 14, 2022 - 12:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कश्मीर के दक्षिण पुलवामा में आतंकियों द्वारा की जा रही गैर कश्मीरियों की हत्याओं के बीच देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रवासी कामगार दहशत के माहौल में अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं। इन मजदूरों का कहना है कि अगर वे काम नहीं करेंगे तो अपने परिवारों को खिलाएंगे क्या? एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 20 दिनों में कश्मीर में सात प्रवासी कामगारों को गोली मारकर घायल कर दिया गया है। सभी हमले पुलवामा के दक्षिणी जिले में हो रहे हैं। अधिकारियों ने संदिग्धों को खोजने में बहुत कम कामयाबी हासिल की है। भय और अनिश्चितता के बीच कई प्रवासी श्रमिक या तो अपने गृह नगर या घाटी के अन्य हिस्सों के लिए रवाना हो गए हैं। पुलवामा छोड़ने वाले प्रवासी मजदूरों के चेहरे पर खौफ साफ दिखा है, वे कहते हैं कि न जाने यहां कब कौन गोली मार देगा !

बेबस हैं, लेकिन और क्या कर सकते हैं..
पुलवामा के विभिन्न हिस्सों जब भी कोई प्रवासी मजदूर किसी अजनबी को देखता है, तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मीडिया को दिए एक बयान में बिहार के एक प्रवासी मजदूर ने बताया कि उसे पता है कि आतंकवादी कश्मीर के बाहर के लोगों को निशाना बना रहे हैं। मजदूर ने कहा कि वे बेबस हैं, लेकिन हम और क्या कर सकते हैं?  काम नहीं करेंगे तब भी हम मरेंगे। हम सिर्फ सावधानी बरत रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि कुछ नहीं होगा। मीडिया रिपोर्ट में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलवामा में लगभग 6,000-6,500 प्रवासी श्रमिक होते हैं। यह काम करने के मौसम की शुरुआत है, एक सामान्य मौसम में हमारे पास इस समय लगभग 20,000-30,000 प्रवासी श्रमिक होंगे।

कब और कहां पर हुए कामगारों पर हमले
यह हमले अक्टूबर में पांच लोगों के मारे जाने के पांच माह बाद हुए हैं, जब आतंकवादियों ने गैर-स्थानीय लोगों पर इसी तरह के हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया है। हाल ही में गोलीबारी का पहला हमला 19 मार्च को हुआ था जब संदिग्ध आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई मोहम्मद अकरम को गोली मार दी थी। आखिरी बार 7 अप्रैल को पंजाब के पठानकोट के एक मजदूर सोनू शर्मा पर पुलवामा के यादेर गांव में हमला किया गया था। 21 मार्च को बिहार के एक मजदूर बिस्वजीत कुमार घायल हो गए थे, जबकि 3 अप्रैल को पठानकोट के एक ड्राइवर और कंडक्टर सुरिंदर और धीरज दत्त को संदिग्ध आतंकवादियों ने गोली मार दी थी। 4 अप्रैल को बिहार के दो मजदूरों पातालश्वर कुमार और जक्कू चौधरी पर हमला किया गया था।

घाटी में हर साल आते हैं करीब 3 लाख कामगार
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार लगभग 3 लाख प्रवासी कामगार ज्यादातर बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और झारखंड से काम के लिए हर साल कश्मीर आते हैं। बिहार के कई लोग कश्मीर को "भारत का दुबई" के रूप में संदर्भित करने के लिए जाने जाते हैं, क्योंकि घाटी में दैनिक मजदूरी से उन्हें अपने राज्य में  200 रुपये की तुलना में 500-700 रुपए मिलते हैं। वे यहां मार्च से नवंबर के महीनों के दौरान होते हैं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पहली बार प्रवासी कामगार आतंकवादी हमलों की चपेट में आए। हमलों की पहली श्रृंखला दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों से प्रभावित शोपियां में थी, इसके बाद पिछले साल अक्टूबर में श्रीनगर और अन्य हिस्सों में हमले हुए हैं।


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Content Writer

Anil dev

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