दिल्ली की हवा में घुले जहर को धोने के लिए पाक की तरफ से आ रही राहत!

punjabkesari.in Thursday, Nov 12, 2020 - 11:46 AM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति दो दिन पहले की तुलना में काफी बेहतर है, जब प्रदूषण का स्तर आपात से भी ऊपर पहुंच गया था। सरकारी एजेंसियों और मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि हवाओं की दिशा उत्तर पश्चिम से बदलकर उत्तर-उत्तर पूर्व होने से प्रदूषण स्तर में गिरावट दर्ज की गई क्योंकि हवा की दिशा की वजह से पराली जलने से दिल्ली में प्रदूषण की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी आई। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह नौ बजे 315 दर्ज किया गया। बुधवार और मंगलवार को 24 घंटे का औसत सूचकांक क्रमश: 344 और 476 दर्ज हुआ। 

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दिल्ली की हवा में घुले जहर को धोने पाक भारत की मदद करने वाला है। दरअसल दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत के लंबे समय से मौसम शुष्क है। अब एक प्रभावी वेस्टर्न डिस्टरबेंस कैस्पियन सागर से उठने के बाद ईरान और अफगानिस्तान को पार करते हुए उत्तरी पाकिस्तान के करीब पहुंचने वाला है। इस सिस्टम के 12 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के पास आने की उम्मीद है। यह 12 से 16 नवंबर तक दिल्ली समेत उत्तर भारत के पहाड़ों को प्रभावित करेगा। दिल्ली-एनसीआर में भी इसकी वजह से 15 और 16 नवंबर को हल्की बारिश होने के अनुमान है जिससे प्रदूषण खत्म होने के आसार है। 

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में लगातार छह दिनों तक चार नवंबर से नौ नवंबर के बीच प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी में बना रहा था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले दिल्ली के पड़ोसी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक फरीदाबाद में 306, गाजियाबाद में 336, नोएडा में 291, ग्रेटर नोएडा में 322, गुडग़ांव में 261 दर्ज किया गया। ये सूचकांक च्खराब' और बेहद खराब' श्रेणी में आते हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, च्मंगलवार की तुलना में स्थिति बेहतर है।उन्होंने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव से पंजाब और हरियाणा से पराली का धुआं पहले की तरह इधर नहीं आ पा रहा है। अधिकारी ने बताया कि हालांकि, शुक्रवार को आंशिक तौर पर वायु गुणवत्ता में गिरावट की संभावना है। आईएमडी ने बताया कि सुबह हवा की गति शांत थी और न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शांत हवा और न्यूनतम तापमान से प्रदूषण तत्व सतह के करीब रहते हैं जबकि हवा में तेजी से इन कणों का बिखराव होता है। सफदरजंग वेधशाला ने सुबह में हल्की धुंध दर्ज ी और दृश्यता का स्तर 800 मीटर था। 

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी इकाई सफर ने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव की वजह से पराली जलने के कारण शहर में प्रदूषण की हिस्सेदारी कम रही। दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली जलने से प्रदूषण की मात्रा सिर्फ तीन फीसदी दर्ज की गई, जो कि बेहद कम है। सीपीसीबी ने बुधवार को हॉट मिक्स संयंत्रों और पत्थर तोडऩे का काम करने वाली मशीनों (स्टोन क्रशर) पर 17 नवंबर तक प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि त्योहारी मौसम की वजह से प्रदूषण का स्तर बढऩे की आशंका है। वहीं पंजाब और हरियाणा सरकार से भी पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है। वहीं दिल्ली-एनसीआर में प्रशासन को जैव ईंधनों के जलने पर निगरानी रखने को कहा गया है। 


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Anil dev

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