''आओ सब मिलकर रामायण पढ़ें'', राम मंदिर भूमि पूजन से पहले नायडू ने की यह अपील
punjabkesari.in Sunday, Aug 02, 2020 - 12:46 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रामायण को करुणा, सहानुभूति, समावेश, शांतिपूर्ण सहस्तित्व तथा लोकतंत्र का आधार करार देते हुए कहा कि यही हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के लिए अनुकरणीय मानदंड बन सकता हैं और इसे हमें अपने राजनीतिक, न्यायिक और प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करना चाहिए। नायडू ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर रविवार को लिखे एक लेख में कहा कि इस सुअवसर पर जब पांच अगस्त 2020, को श्री राम के प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ करेंगे और जन आकांक्षाओं के अनुरूप एक वैभवशाली मंदिर का निर्माण करेंगे हम भारत के इस महा ग्रंथ रामायण के सार्वकालिक, सार्वभौमिक संदेश को समझें, उसका प्रसार करें, उन आधारभूत मूल्यों और मर्यादाओं से अपने जीवन को समृद्ध करें।
नायडू ने कहा कि भारत के विश्व दर्शन की व्यापकता को समझने के लिए आइए भारत के इस आदि महाकाव्य रामायण का अध्ययन करें, हमारे संस्कारों, जीवन मूल्यों, हमारी संस्कृति को पहचानने के लिए रामायण को पढ़ें। अपनी भाषाई और वैचारिक समृद्धि को समझने के लिए रामायण का अनुशीलन करें।' उन्होंने कहा कि करुणा, सहानुभूति, समावेश, शांतिपूर्ण सहस्तित्व पर आधारित जन केंद्रित लोकतांत्रिक राज्य जिसमें लोगों को बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किया जाता था, यही राज्य राष्ट्रीय प्रयासों के लिए अनुकरणीय मानदंड और प्रेरणा बन सकता है कि हम समाज में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करें।
उपराष्ट्रपति ने अपने पोस्ट में लिखा कि आज से कुछ दिन बाद, हम सभी अयोध्या में हो रहे एक ऐतिहासिक अवसर के साक्षी होंगे। एक ऐसा अवसर जो हम सबको अपनी सांस्कृतिक धरोहर, हमारे आदर्शों से जोड़ेगा। एक ऐसा आयोजन जो हमें, लगभग दो हजार साल पहले लिखी, हमारी संस्कृति की कालजई कृति रामायण का स्मरण दिलाएगा। रामायण, हमारी साझा चेतना का अभिन्न हिस्सा है। भक्तों के लिए श्री राम भगवान के रूप में पूजनीय हैं, वे मर्यादा पुरुष हैं, वे मर्यादाएं जो एक संतुलित और न्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था का आधार है। उन्होंने कहा कि सचमुच में यह स्वत: स्फूर्त उत्सव सा अवसर है जब हम अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्स्थापित करेंगे, उन मूल्यों और मर्यादाओं को स्थापित करेंगे जो हमारा मार्गदर्शन करती रही हैं।
नायडू ने कहा कि यह अवसर समाज के आध्यात्मिक अभ्युदय को प्रशस्त कर सकता है बशर्ते हम रामायण में निहित जीवन संदेश को समझें, उसे सही परिपेक्ष्य में देखें, एक ऐसी गाथा के रूप में देखें जिसमें धर्म और सदाचार के भारतीय दर्शन को पिरोया गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वेद और संस्कृत के विद्वान आर्थर एंटनी मैक्डोनल्ड के अनुसार भारतीय ग्रंथों में वर्णित राम मूलत: पंथ निरपेक्ष हैं, विगत ढाई सहस्त्राब्दी से लोगों के जीवन, उनके आचार- विचार पर राम का गहरा प्रभाव रहा है। रामायण ने भारत ही नहीं बल्कि जावा, बाली, मलाया, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया जैसे अनेक दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में अनेक साहित्यकारों, कथाकारों, कवियों, लोक कलाकारों, उनके संगीत, नाटकों, नृत्य नाटिकाओं को भी प्रभावित किया है।