12 की उम्र में पति को खोया, 78 की उम्र में दुनिया को, रामायण की ‘शबरी’ की अनकही दास्तान
punjabkesari.in Saturday, Jun 28, 2025 - 05:26 AM (IST)

नेशनल डेस्कः दूरदर्शन पर 1986–88 में प्रसारित रामानंद सागर की ‘रामायण’ में शबरी का किरदार निभाने वाली सरिता देवी आज भी दर्शकों के दिलों में बसती हैं। हालांकि उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन पहचान उन्हें इसी रोल ने दी।
सिनेमा की दुनिया में पहला कदम
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सरिता देवी का जन्म 23 नवंबर 1925, जोधपुर (राजस्थान) में हुआ।
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1940 के दशक में पर्दा प्रथा के बावजूद उन्होंने अभिनय शुरू किया, पिता पूनमचंदजी चौहान का पूर्ण समर्थन रहा।
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1947 की फिल्म ‘तोहफा’ से उन्होंने करियर की शुरुआत की, उस वक्त उम्र महज 22 वर्ष थी।
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इसके बाद 'चौबेजी', 'लव मैरिज', 'देवदास', 'गंगा की सौगंध' जैसी दर्जनभर फिल्मों में शक्तिशाली सपोर्टिंग भूमिकाएं निभाईं।
शबरी बनी पहचान का प्रतिबिंब
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1987 में ‘रामायण’ में शबरी की भूमिका ही उनका जीवन बदल गई। उनके इस अभिनय ने उन्हें अमर बना दिया।
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इस किरदार की सादगी, भक्ति और भावुकता लोगों के दिलों में बस गई। भले ही वे बड़ी भूमिकाओं में नहीं थीं, लेकिन शबरी के रूप में उन्हें वैश्विक पहचान मिली।
जीवन की चुनौतियां
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मात्र 12 वर्ष की उम्र में रचा गया उनका पहला विवाह, जो 2 महीने बाद विधवा बन गया।
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1951 में दूसरे विवाह से उन्हें दो बेटे और एक बेटी हुईं, लेकिन 1990 में पति का निधन हो गया और बाद में बड़े बेटे का भी निधन हो गया।
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यह व्यक्तिगत त्रासदियां और आर्थिक तनाव उनके जीवन का हिस्सा बन गईं।
स्वास्थ्य समस्याएं और अंत
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अभिनेत्री श्री कृष्ण जैसी टीवी श्रृंखलाओं में सक्रिय रहने के बाद 90 के दशक में पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया।
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उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया, और 28 जून 2001 को उन्होंने अंतिम सांस ली, उम्र 78 वर्ष।
अनमोल योगदान
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हिंदी और क्षेत्रीय फिल्मों में उन्होंने ‘मां, दादी, मौसी’ जैसे किरदारों को जीवंत किया ।
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उनका राजस्थानी डायलॉग डिलीवरी और साफ बोली विशेष रूप से प्रशंसित रही ।
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सात रूसी फिल्मों को हिंदी में डब करने का सम्मान भी उन्हें मिला।