Earthquake: भूकंप के झटकों से हिली धरती, दहशत में लोग, तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 दर्ज
punjabkesari.in Monday, Aug 04, 2025 - 08:41 AM (IST)

नेशनल डेस्क: दक्षिण-पूर्वी एशिया का देश म्यांमार एक बार फिर ज़मीन हिलने की वजह से सुर्खियों में है। सोमवार, 4 अगस्त की रात, वहां भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 दर्ज की गई। ये झटके रात 2:42 बजे के आसपास आए, और इसके बाद समुद्री तूफान यानी सुनामी की आशंका भी जताई गई।
ये कोई पहला मौका नहीं है जब म्यांमार की धरती कांपी हो—इस साल ही कई बार वहां भूकंप आ चुके हैं। 1 अगस्त को 2.3 की तीव्रता के हल्के झटके दर्ज किए गए थे, जबकि 31 जुलाई को 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था। हालांकि इन घटनाओं में जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन 28 मार्च को आए भूकंप ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
28 मार्च: तबाही की तारीख
28 मार्च को म्यांमार में एक विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें 3700 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और लगभग 4800 लोग घायल हुए थे। इस त्रासदी ने कई इलाकों में खाद्यान्न संकट भी पैदा कर दिया था। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, यह हाल के वर्षों में म्यांमार की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी।
भूकंप का वैज्ञानिक कारण: क्यों बार-बार कांपता है म्यांमार?
म्यांमार की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंपों के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र बनाती है। यह इलाका दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों—इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट-के टकराव क्षेत्र में स्थित है। इंडियन प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है, जिसे ‘सबडक्शन ज़ोन’ कहा जाता है। ये टकराव जमीन के नीचे भारी दबाव बनाता है, जो समय-समय पर भूकंपों के रूप में बाहर निकलता है। यह प्रक्रिया अंडमान-निकोबार से होते हुए म्यांमार के पश्चिमी हिस्से तक फैली हुई है, जिससे पूरा इलाका ज़िलज़िलों के लिए संवेदनशील बना रहता है।
भविष्य की चुनौती: तैयारी और सतर्कता
म्यांमार के लिए यह समय चेतावनी का है। लगातार आ रहे झटकों और 28 मार्च जैसी तबाही को देखते हुए देश को आपदा प्रबंधन, मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर और समय रहते चेतावनी देने वाली तकनीक की सख्त ज़रूरत है। भविष्य में ऐसे भूकंप फिर से आ सकते हैं, लेकिन इनसे होने वाले नुकसान को कम करना हमारे हाथ में है।