CAA लागू होने के बाद सामने आए मुस्लिम धर्मगुरू, लोगों से की अपील- शांति बनाए रखें, घबराएं नहीं

punjabkesari.in Monday, Mar 11, 2024 - 07:37 PM (IST)

नेशनल डेस्कः देश में नागरिकता कानून लागू होने के बाद मुस्लिम धर्मगुरूओं ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सीएए लागू होने पर कहा कि "हम सभी से अपील करना चाहते हैं कि वे शांत रहें और घबराएं नहीं। हमारी कानूनी टीम इस पर गौर करेगी और आगे के फैसले लिए जाएंगे।"

इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा कि वह केरल में सीएए को लागू नहीं होने देंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है, तो वह इसका विरोध करेंगी। सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील करार देते हुए बनर्जी ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहती हैं। बनर्जी ने कहा, ‘‘ऐसी खबरें हैं कि सीएए को अधिसूचित किया जाएगा। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का विरोध करेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (केंद्र) नियम सामने आने दीजिए, फिर हम नियमों को पढ़ने के बाद इस मुद्दे पर बात करेंगे।''

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले देश और खासकर पश्चिम बंगाल एवं असम में ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि चुनावी बॉण्ड पर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद सरकार ने ‘हेडलाइन मैनेज करने' की कोशिश भी की है।

विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एक बार सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार 31 दिसंबर,2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी।

रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल पेशेवर और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए के नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार समयसीमा बढ़ाने की मांग के बाद इसकी घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है। रमेश ने दावा किया, ‘‘ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव में ध्रुवीकरण करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में। यह चुनावी बॉण्ड घोटाले पर उच्चतम न्यायालय की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद ‘‘हेडलाइन को मैनेज करने' का प्रयास भी प्रतीत होता है।'' 


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Content Writer

Yaspal

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