सांसद/विधायक पर लगे आरोपों पर नहीं लगी रोक तो सदस्यता से हो जाएंगे अयोग्यः सुप्रीम कोर्ट

punjabkesari.in Monday, Jul 23, 2018 - 10:46 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि आपराधिक मामले में अगर किसी सांसदों/विधायकों पर लगे आरोप पर अपीलीय अदालत ने रोक नहीं लगाई है तो वह सदन की सदस्यता से अयोग्य हो जाएंगे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने एनजीओ ‘लोक प्रहरी’ की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इसमें आरोप लगाया गया है कि लिली थॉमस मामले में 2013 के शीर्ष अदालत के फैसले का सांसद , विधायक और विधान पार्षद उल्लंघन कर रहे हैं। आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि के बावजूद उनकी सदस्यता बनी हुई है।

शीर्ष अदालत ने 10 जुलाई 2013 को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को निरस्त कर दिया था। उसमें दोषी ठहराए जा चुके सांसदों, विधायकों को इस आधार पर सदस्य बने रहने की अनुमति दी गई थी कि दोषसिद्धि के तीन महीने के भीतर अपील दायर की गई है। अदालत ने कहा था, ‘‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) की शक्ति के बारे में एकमात्र सवाल है और हम कहते हैं कि यह अधिकारातीत (अल्ट्रा वायर्स) है और अयोग्यता दोषसिद्धि की तारीख से होगी।’’
 
पूर्व प्रभाव से सदस्यता को बहाल नहीं किया जा सकता
एनजीओ ने अपने सचिव एस एन शुक्ला के जरिये दायर नयी याचिका में कहा कि विधि निर्माता की अयोग्यता दोषसिद्धि के तुरंत बाद हो जाती है और अपीलीय अदालत दोषसिद्धि पर रोक लगाकर पूर्व प्रभाव से सदस्यता को बहाल नहीं कर सकती है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शुक्ला ने पीठ से कहा कि 2013 का फैसला अपीलीय अदालतों को किसी सांसद , विधायक की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से रोकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘कृपया हमें (फैसले की उन) पंक्तियों को दिखाएं जिसमें कहा गया है कि दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका दिये जाने पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।’’ पीठ ने कहा, ‘‘कानून बिल्कुल साफ है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी ठहराया जाता है और उसकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई गई है तो उसकी सदस्यता चली जाएगी।’’ पीठ ने कहा, ‘‘अगर (दोषसिद्धि) रोक लगा दी गई है तो वह सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है। अगर कोई रोक नहीं लगाई गई है तो वह सदस्यता के लिये अयोग्य हो चुका है।’’

आरोप लगने पर तत्काल सदस्या से वंचित
पीठ ने यह भी कहा कि अपीलीय अदालतें विरले ही आपराधिक मामलों में सांसदों, विधायकों की दोषसिद्धि पर रोक लगाती हैं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर कोई सांसद, विधायक किसी अपराध के लिये दोषी ठहराया जाता है तो वह सदन की सदस्यता से तत्काल अयोग्य हो जाएगा और उसे अपील दायर करने के लिये तीन महीने का वक्त नहीं दिया जाएगा , जैसा पहले प्रावधान था।

शीर्ष अदालत ने हालांकि, तब कहा था कि उसका फैसला ऐसे दोषी सांसदों, विधायकों या विधान पार्षदों पर लागू नहीं होगा जिन्होंने फैसला सुनाए जाने से पहले ही ऊपरी अदालतों में अपील दायर कर रखी है। इस फैसले ने सामान्य लोगों और चुने हुए जन प्रतिनिधियों के बीच भेदभाव को समाप्त कर दिया था। विधि निर्माताओं को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सुरक्षा हासिल थी। जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के तहत अगर किसी व्यक्ति को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा सुनाई जाती है तो वह सजा की अवधि और अतिरिक्त छह साल के लिये अयोग्य हो जाएगा।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Yaspal

Recommended News

Related News