ओडिशा के पुरी रथ यात्रा में उमड़ी रिकॉर्ड तोड़ भीड़, 600 से अधिक श्रद्धालु हुए बीमार
punjabkesari.in Saturday, Jun 28, 2025 - 12:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: ओडिशा के पुरी में चल रहे विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव के दौरान अत्यधिक भीड़ और गर्मी के कारण 600 से अधिक श्रद्धालुओं को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस अप्रत्याशित भीड़ के चलते रथ यात्रा में काफी देरी हुई, जिससे व्यवस्था बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
पुरी रथ यात्रा में उमड़ी रिकॉर्ड तोड़ भीड़-
महाप्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की वार्षिक रथ यात्रा के पहले दिन लाखों की संख्या में उमड़ी भीड़ ने पुरी में व्यवस्था को चुनौती दी। अत्यधिक भीड़ और भीषण गर्मी व उमस के कारण 600 से अधिक श्रद्धालुओं को चोटों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते पुरी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा। गनीमत यह रही कि कोई भगदड़ नहीं मची और किसी की जान को खतरा नहीं हुआ।
रथ खींचने में हुई देरी और अव्यवस्था
रथ यात्रा के दौरान खासकर भगवान बलभद्र के तलध्वज रथ को खींचने में काफी कठिनाई हुई। यात्रा मार्ग में पड़ने वाले एक मोड़ पर रथ को आगे बढ़ाना बेहद मुश्किल हो गया, जिससे जुलूस की गति धीमी पड़ गई। रथ के रुकने से मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु जमा हो गए और बड़ी संख्या में लोग प्रतिबंधित क्षेत्र में भी घुस गए। इससे रथों की सुचारु आवाजाही में और बाधा उत्पन्न हुई जिससे भीड़ को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन गया। सुरक्षा सूत्रों ने स्वीकार किया कि उम्मीद से कहीं ज्यादा भीड़ उमड़ी थी जिसे संभालना मुश्किल हो रहा था।
गर्मी और उमस बनी वजह-
श्रद्धालुओं के बेहोश होने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए ओडिशा के मंत्री मुकेश महालिंग ने बताया कि ये घटनाएं संभवतः बहुत अधिक गर्मी और उमस के कारण हुई हैं। उन्होंने कहा, "मौसम की स्थिति के कारण एक या दो श्रद्धालु बेहोश हो गए लेकिन बचाव दल ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उन्हें अस्पताल पहुंचाया।" मंत्री ने आश्वासन दिया कि मंदिर के पास प्राइमरी हेल्थ सेंटर स्थापित किए गए हैं और पानी और ग्लूकोज की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से चिकित्सा सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करने और अस्पताल का दौरा कर पीड़ितों का हाल जानने की बात भी कही।
जगन्नाथ रथ यात्रा: परंपरा और भक्ति का महापर्व
हर साल होने वाले इस रथोत्सव में देश और दुनिया भर से लाखों भक्त तीर्थ नगरी पुरी पहुंचते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ उनके भाई-बहन भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को 12वीं शताब्दी के पुरी जगन्नाथ मंदिर से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक हाथों से खींचकर लाया जाता है। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा एक सप्ताह तक गुंडिचा मंदिर में रहते हैं, जिसे त्रिदेवों के मौसी का घर माना जाता है और फिर इसी तरह के जुलूस में वापस जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह में लौटते हैं। यह वर्ष का वह समय होता है जब महाप्रभु स्वयं अपने भक्तों से मिलने के लिए अपने निवास से बाहर आते हैं। इस दौरान तीर्थ नगरी पुरी 'जय जगन्नाथ' और 'हो भक्ते' के नारों से गूंज उठती है।
अनुष्ठान और सुरक्षा व्यवस्था
मंगल आरती और विधि-विधान से पूजा-पाठ करने के बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को 12वीं शताब्दी के मंदिर से निकालकर सिंह द्वार पर खड़े उनके भव्य रथों नंदी घोष (जगन्नाथ), दर्पदलन (सुभद्रा) और तालध्वज (बलभद्र) पर विराजमान किया गया। घंटों, शंख और झांझ बजाते हुए चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले मुख्य मंदिर से बाहर निकाला गया और देवी सुभद्रा के 'दर्पदलन' रथ पर विराजित किया गया। इसके बाद भगवान बलभद्र और फिर देवी सुभद्रा को उनके रथों पर विराजमान किया गया। आज सुबह औपचारिक पहांडी और छेरा पहनरा अनुष्ठान पूरा होने के बाद, भोई राजवंश के मुखिया ने रथ यात्रा के रास्ते को सोने की झाड़ू से बुहारा। इसके बाद भक्तों ने सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ खींचना शुरू किया, फिर देवी सुभद्रा का और सबसे आखिर में महाप्रभु जगन्नाथ के रथ को खींचा जाएगा।
भारी भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे शहर में लगभग 10,000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है, जिनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की आठ कंपनियां भी शामिल हैं। ओडिशा के डीजीपी वाई.बी. खुरानिया ने कहा, "हमने रथ यात्रा के सुचारु संचालन के लिए हर संभव व्यवस्था की है। 275 से अधिक एआई-इनेबल्ड सीसीटीवी कैमरों के जरिए रथ यात्रा की निगरानी की जा रही है।"