इलैक्शन डायरी: मोरारजी देसाई के बेटे का दखल और कांग्रेस की भंग सरकारें

punjabkesari.in Tuesday, May 07, 2019 - 10:55 AM (IST)

इलैक्शन डैस्क: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के बाद सत्ता में आई मोरारजी देसाई सरकार से भी प्रशासनिक स्तर पर ऐसी कई चूक हुईं जिसके कारण उनकी सरकार 2 साल तक ही सत्ता में रह सकी। जनता पार्टी की सरकार में पी.एम. बने मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते प्रधानमंत्री निवास में उनके पुत्र का खुला दखल था।

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उस दौर में सरकार के कई ठेकों में मोरारजी देसाई के बेटे की भूमिका की खबरें चर्चा का विषय बनीं लेकिन पुत्र मोह में डूबे देसाई ने अपने पुत्र को प्रधानमंत्री निवास से हटाने के लिए कुछ नहीं किया। इस कारण सरकार की साख बिगडऩे लगी और कांग्रेस को सरकार की नाकामियों और भ्रष्टाचार को जनता के बीच ले जाने का मौका मिला। इसके अलावा एक बड़ी चूक कांग्रेस शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी रही। मोरारजी देसाई के शासनकाल में देश में 16 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया और इसमें कांग्रेस के शासन वाले 9 राज्य खास तौर पर निशाने पर रहे। 

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इससे पहले इंदिरा गांधी ने भी संविधान की धारा 356 का कई बार बेजा इस्तेमाल किया था जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा लेकिन मोरारजी देसाई ने इंदिरा की गलतियों से सबक नहीं सीखा और कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें भंग कीं जिसके चलते जनता में उनके प्रति नकारात्मक संदेश गया। हालांकि कांग्रेस के शासन वाली सरकारों को भंग किए जाने को लेकर मीडिया के एक खेमे ने जबरदस्त तौर पर सरकार के कदमों को नैतिकता के खिलाफ  बताया लेकिन देसाई सरकार पर मीडिया में आई रिपोटर््स का असर नहीं था और वह इंदिरा गांधी के प्रति बदले की भावना से काम करती रही, लिहाजा इंदिरा गांधी को बाद में इसका राजनीतिक रूप से फायदा हुआ।                 

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Anil dev

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