जेलो में कैदियों को बांटी जा रही RSS की किताबें, कांग्रेस ने कहा- ''अधिकारी प्रमोशन चाहते हैं''

punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2025 - 10:05 AM (IST)

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ की जेलों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पत्रिकाएं पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर उपलब्ध कराने के फैसले के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। जेल विभाग के डायरेक्टर जनरल (DG) हिमांशु गुप्ता ने राज्य की सभी जेलों में इन पत्रिकाओं को लाइब्रेरी में रखने का आदेश जारी किया है। इस फैसले का उद्देश्य कैदियों को मुख्यधारा और धर्म से जोड़ना बताया गया है। वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि अधिकारी प्रमोशन चाहते हैं, इसलिए वो ये कर रहे हैं।

कैसे हुआ फैसला?

DG हिमांशु गुप्ता रायपुर सेंट्रल जेल के निरीक्षण के दौरान पहुंचे थे, जहां उन्हें पता चला कि जेल लाइब्रेरी में इन पत्रिकाओं / किताबों की आपूर्ति कभी नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने सभी जेलों में RSS की इन पत्रिकाओं को रखने का फैसला किया। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इन पत्रिकाओं से कैदियों को सनातन धर्म और सामाजिक विचारों से जोड़ने में मदद मिलेगी, जिससे वे जेल के बाद बेहतर जीवन जी सकें।

कांग्रेस ने जताई आपत्ति

कांग्रेस नेता आकाश शर्मा ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया और आरोप लगाया कि यह फैसला DG के प्रमोशन की मंशा से लिया गया है। उन्होंने कहा, "हिमांशु गुप्ता DGP बनने की दौड़ में हैं और अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए ऐसे फैसले ले रहे हैं। अगर कोई सनातन धर्म के बारे में जानना चाहता है तो इसके लिए और भी कई किताबें उपलब्ध हैं। RSS जेल के अंदर भी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जो गलत है। जेलें स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष की गवाह रही हैं, इन्हें राजनीतिक विचारधारा से दूर रखना चाहिए।"

BJP ने दिया जवाब

राज्य के उपमुख्यमंत्री और BJP नेता विजय शर्मा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जेल में सभी तरह की किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे कैदी बाहरी दुनिया से जुड़ सकें। उन्होंने कहा, "सनातन धर्म का ज्ञान जरूरी है। अन्य किताबों के साथ-साथ ये पत्रिकाएं भी कैदियों को मिलेंगी, ताकि वे अच्छे विचारों से जुड़ सकें। RSS का राजनीति से कोई संबंध नहीं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है।"

क्या है छत्तीसगढ़ की जेलों की स्थिति?

छत्तीसगढ़ में कुल 5 सेंट्रल जेल, 20 जिला जेल और 8 उप-जेल हैं। इन जेलों में हजारों कैदी बंद हैं, जिनके सुधार के लिए समय-समय पर नई योजनाएं लागू की जाती हैं। अब जेल पुस्तकालयों में धार्मिक और सांस्कृतिक पुस्तकों को शामिल करने के फैसले पर बहस शुरू हो गई है।

क्या है विवाद की असली वजह?

इस पूरे मामले में दो प्रमुख सवाल उठ रहे हैं:

  1. क्या जेलों में धार्मिक और वैचारिक पत्रिकाएं उपलब्ध कराना सही है?
  2. क्या सरकार और अधिकारी किसी खास विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं? 

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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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