संघ को राजनीति या भाजपा के नजरिए से न देखें, भारत को विश्व गुरू बनाना मुख्य उद्देश्य: RSS चीफ

punjabkesari.in Sunday, Dec 21, 2025 - 02:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि संघ को समझने के लिए तुलना करना या किसी राजनीतिक नजरिए से देखना भ्रमित कर सकता है। कोलकाता में आयोजित RSS की 100 व्याख्यान माला कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ न तो केवल एक साधारण सेवा संगठन है और न ही इसे सिर्फ बीजेपी के दृष्टिकोण से समझा जाना चाहिए।

भागवत ने संघ के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा, “संघ की स्थापना का सार एक ही वाक्य में समझा जा सकता है – भारत माता की जय। यहाँ भारत केवल एक देश नहीं है, बल्कि यह एक विशेष स्वभाव और परंपरा का प्रतीक है। हमारा उद्देश्य इस परंपरा को बनाए रखते हुए भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए समाज को तैयार करना है।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ का जन्म किसी राजनीतिक उद्देश्य, प्रतिद्वंद्विता या विरोध से नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “संघ हिंदू समाज के संगठन, उन्नति और संरक्षण के लिए समर्पित है।” मोहन भागवत ने 18 दिसंबर को अपने चार दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरे की शुरुआत की है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है।

इतिहास के संदर्भ में संघ को समझाने का प्रयास
इतिहास का उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के निधन के बाद अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष समाप्त हो गया। लेकिन समाज सुधार की प्रक्रिया, जो राजा राम मोहन राय के समय से चल रही थी, वह निरंतर चलती रही। उन्होंने इसे समुद्र के बीच एक द्वीप की तरह बताया, जो लगातार अपने उद्देश्य की दिशा में आगे बढ़ता रहा।

“अब हमें अपने समाज को मजबूत करना है” – RSS चीफ
भागवत ने अपने भाषण में संघ के महत्व के साथ-साथ राष्ट्र की शक्ति और वैश्विक भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत एक महान विरासत वाला देश है और दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में हम अंग्रेजों से युद्ध हार गए, लेकिन अब समय है कि हम अपने समाज को मजबूत बनाएं और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हों।

संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार पर मोहन भागवत की बातें
मोहन भागवत ने कहा कि RSS के संस्थापक डॉ. के. बी. हेडगेवार का जीवन केवल देश के काम के लिए समर्पित था। उन्होंने बताया कि डॉ. हेडगेवार के माता-पिता प्लेग के रोगियों की सेवा करते थे और इसी सेवा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनके जीवन में गरीबी थी, लेकिन वे मेधावी और पढ़ाई में सबसे आगे थे। भागवत ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने देश के लिए नौकरी नहीं की, विवाह नहीं किया और असहयोग आंदोलनों में गांव-गांव जाकर योगदान दिया। उनके इन प्रयासों के कारण उन पर राजद्रोह का केस भी चला।


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Content Editor

Shubham Anand

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