''हिंदुओं के बिना दुनिया का अस्तित्व असंभव...'' मणिपूर में बोले RSS चीफ मोहन भागवत
punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 07:15 PM (IST)
नेशनल डेस्क : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मणिपुर के दौरे के दौरान हिंदू सभ्यता, भारतीय संस्कृति और विश्व में हिंदू समाज की भूमिका को लेकर बड़ा और महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हिंदुओं के बिना दुनिया का अस्तित्व संभव नहीं है। हिंदू समाज सिर्फ एक समुदाय नहीं बल्कि मानवता की ऐसी धुरी है, जिसके बिना दुनिया की कल्पना भी असंभव है।
“हिंदू समाज अमर है, भारत अनादि सभ्यता का प्रतीक”
भागवत ने कहा कि हिंदू समाज अनंत है, और भारत उसी अनादि और अमर सभ्यता का नाम है। उन्होंने कहा कि यदि हिंदू समाज समाप्त हो गया, तो दुनिया का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सभ्यता ने इतिहास में कई उतार-चढ़ाव, आक्रमण, संघर्ष और बदलाव देखे, लेकिन इसके बावजूद यह सभ्यता आज भी मजबूती से विश्व मानचित्र पर टिकी है। भागवत ने कहा कि हमारी सभ्यता की मजबूती का राज यह है कि हमारे अंदर ऐसी सांस्कृतिक ऊर्जा और जीवन शक्ति है, जिसने भारत को हजारों सालों से जीवित रखा है।
#WATCH | Imphal, Manipur | RSS Chief Mohan Bhagwat says, "Everyone needs to think about circumstances. But you see, circumstances change. Every nation of the world has seen all kinds of situations. Some nations perished. Yunaan (Greece), Misr (Egypt) and Roma, all civilisations… pic.twitter.com/w14gUyC0iS
— ANI (@ANI) November 21, 2025
ग्रीस, मिस्र और रोम जैसी सभ्यताएं क्यों मिट गईं?
अपने भाषण में RSS प्रमुख ने विश्व की अन्य पुरानी सभ्यताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ग्रीस, मिस्र (Egypt) और रोम (Rome) जैसी महान सभ्यताएँ समय के साथ खत्म हो गईं। उन्होंने कहा कि इन देशों में बड़े पैमाने पर धार्मिक परिवर्तन और सांस्कृतिक टूटन हुई, जिसके कारण उनकी मूल सभ्यताएँ इतिहास से लुप्त हो गईं। भागवत ने कहा कि इसके विपरीत भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसने लगातार अपनी सभ्यता से जुड़ाव बनाए रखा, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न रही हों।
मोहन भागवत ने भारत की सामाजिक शक्ति का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमारी सबसे बड़ी ताकत यह है कि यहाँ सांस्कृतिक एकता जिम्मेदारी के आधार पर टिकी है, न कि जाति, भाषा या धर्म के आधार पर। उन्होंने कहा कि भारत का सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि हिंदू समाज सदैव बना रहेगा और यदि कभी हिंदू समाज का अस्तित्व समाप्त हुआ, तो दुनिया भी अपना अस्तित्व खो देगी।
महाभारत, रामायण और अन्य ग्रंथों में भारत का उल्लेख
अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि भारत सिर्फ एक आधुनिक राष्ट्र नहीं, बल्कि प्राचीन काल से अस्तित्व में रहा एक सांस्कृतिक राष्ट्र है। महाभारत, रामायण और कालिदास के महाकाव्यों में भी इसका विस्तृत उल्लेख मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत की भूमि का विस्तार मणिपुर से लेकर अफगानिस्तान तक हुआ करता था, और इस दौरान कई राजा आए, अनेक आक्रमण हुए, लेकिन भारत की सभ्यता हमेशा कायम रही।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बदला वैश्विक राजनीतिक माहौल
भागवत ने कहा कि 1945 में दूसरा विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य अचानक बदल गया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मजबूरियों और कूटनीतिक हितों के कारण नेताओं ने अलग-अलग विचार प्रकट किए, लेकिन मूल समझ यह थी कि पूरा भारत एक है और भारत की आत्मा उसकी सभ्यता में निहित है।
