''समाज कानून से नहीं, संवेदना से चलता है'', RSS शताब्दी वर्ष पर बोले मोहन भागवत
punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 05:53 PM (IST)
नेशनल डेस्क : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में बेंगलुरु में शुरू हुई दो दिवसीय व्याख्यानमाला के पहले दिन शनिवार को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने हजारों स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उन्होंने संघ को “विश्व का सबसे अनोखा संगठन” करार देते हुए कहा कि आज भारत सहित कई देशों में संघ समाजसेवा के कार्य कर रहा है। डॉ. भागवत ने कहा, “भारत तब ही विश्व गुरु बनेगा जब वह दुनिया को ‘अपनेपन’ का सिद्धांत सिखाएगा। समाज केवल कानून से नहीं चलता, समाज संवेदना से चलता है। अपनेपन की भावना ही समाज को जोड़ती है और इसे निरंतर जागृत रखना होगा।”
प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान में समानता
सरसंघचालक ने प्राचीन भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान के बीच गहरा संबंध बताया। उन्होंने कहा, “हमारी परंपरा जिसे ‘ब्रह्म’ या ‘ईश्वर’ कहती है, आज का विज्ञान उसे ‘यूनिवर्सल कॉन्शसनेस’ (सार्वभौमिक चेतना) कहता है। दोनों एक ही सत्य की ओर इशारा करते हैं।” आरएसएस प्रमुख ने संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को याद करते हुए कहा, “बाल्यावस्था से ही डॉ. हेडगेवार ने स्कूल में अंग्रेज अफसर का स्वागत ‘वंदे मातरम्’ से करना शुरू कर दिया था। वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे और लोगों को ‘वंदे मातरम्’ व ‘भारत माता की जय’ बोलने का संदेश देते थे। वे केवल धार्मिक नहीं, बल्कि महान समाज सुधारक भी थे।”
“राजनीतिक जागृति जरूरी"
डॉ. भागवत ने कहा, “आज हमारा जनमानस राजनीतिक रूप से पूरी तरह संगठित नहीं है। सामान्य व्यक्ति को भी राजनीतिक रूप से जागृत रहना चाहिए। राजनीतिक जागृति के कारण ही आम आदमी में ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ बोलने का साहस आया है।”
