2 दिन के UK दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, Indo-Pacific रणनीति और आर्थिक साझेदारी पर रहेगा फोकस

punjabkesari.in Sunday, Jul 20, 2025 - 03:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 23 से 24 जुलाई के बीच यूनाइटेड किंगडम (UK) की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। यह दौरा ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर के निमंत्रण पर हो रहा है, जिन्होंने हाल ही में देश की सत्ता संभाली है। यह प्रधानमंत्री मोदी का चौथा ब्रिटेन दौरा होगा, लेकिन लेबर पार्टी की नई सरकार के साथ यह उनकी पहली द्विपक्षीय बातचीत होगी, जो इस दौरे को रणनीतिक दृष्टि से अहम बना देता है।

क्यों जरूरी है दौरा 

ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन के बाद यह यात्रा भारत-UK संबंधों की नई दिशा तय करने का पहला अवसर होगी। इस दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच 2021 से जारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership - CSP) की समीक्षा की जाएगी। विशेष रूप से ऐसे समय में जब ब्रिटेन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी भूमिका को लेकर फिर से सक्रिय हो रहा है। साथ ही, दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement - FTA) पर अटकी बातचीत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा सकता है, जिस पर पिछली सरकार और भारत के बीच कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं।

किन मुद्दों को लेकर होगी चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच कई व्यापक मुद्दों पर चर्चा होगी। इनमें द्विपक्षीय व्यापार और निवेश, टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सहयोग, रक्षा और साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य अनुसंधान, उच्च शिक्षा और सबसे अहम जनता से जनता के बीच संबंधों को मजबूत करना शामिल है। यूके में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग बसे हैं, इसलिए सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय से शिष्टाचार भेंट भी प्रस्तावित है, जो दोनों देशों के राजनयिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगी।

भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्ता

भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापारिक और रणनीतिक सहयोग की गति तेज हुई है। दोनों देशों ने 2021 में ‘रोडमैप 2030’ पर सहमति व्यक्त की थी, जिसका लक्ष्य अगले दशक में संबंधों को वैश्विक स्तर पर और अधिक सशक्त बनाना है। हालांकि ब्रिटेन में बार-बार सत्ता परिवर्तन और भारत में मानवाधिकार व वीजा मामलों को लेकर कुछ तनाव भी रहे हैं, लेकिन अब कीर स्टार्मर की सरकार बनने के बाद दोनों देशों के बीच FTA वार्ता को पुनर्जीवित किए जाने की संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन पश्चिमी देशों में पहला ऐसा देश हो सकता है जो भारत के साथ FTA समझौता करेगा, जिससे यह यात्रा आर्थिक और भू-राजनीतिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण बन जाती है।

संभावित घोषणाएं और समझौते

ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर आने के बाद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के प्रयास में है। इस क्षेत्र में भारत एकमात्र लोकतांत्रिक शक्ति केंद्र है, जो ब्रिटेन के लिए स्वाभाविक साझेदार बनता है, खासकर चीन की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर। इस यात्रा के दौरान कोई बड़ा आर्थिक समझौता, नवाचार फंड या नई रक्षा साझेदारी की घोषणा हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष युवाओं के लिए विशेष वीजा योजनाओं या स्किल एक्सचेंज प्रोग्राम पर भी बातचीत कर सकते हैं।

यह दौरा एक कूटनीतिक टेस्ट

यह दौरा केवल औपचारिक मुलाकात नहीं बल्कि एक कूटनीतिक टेस्ट केस भी है, जो यह दर्शाएगा कि वैश्विक राजनीति के बदलते परिदृश्य में भारत और ब्रिटेन किस प्रकार एक-दूसरे को प्राथमिकता देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की ‘लुक वेस्ट’ (Look West) नीति और ब्रिटेन की ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ (Global Britain) नीति को इस दौरे से नया प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। लंदन से सीधे प्रधानमंत्री मोदी 25 जुलाई को मालदीव रवाना होंगे, जो इस यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव होगा।

 


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Content Editor

Shubham Anand

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