मोदी का ‘आज का युग युद्ध का नहीं'' संदेश यूरोप में सकारात्मक रूप में लिया गया: जर्मन राजदूत

punjabkesari.in Sunday, Oct 23, 2022 - 05:31 PM (IST)

नई दिल्लीः रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ‘स्पष्ट' संदेश कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है', यूरोप में बड़े पैमाने पर सकारात्मक रूप में लिया गया। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिस एकरमैन ने रविवार को यह बात कही। उन्होंने भारत के इस रुख को भी सराहा कि देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।

एकरमैन ने ‘पीटीआई-भाषा' को दिए एक विशेष साक्षात्कार में यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर रूस के कब्जे के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाये गए प्रस्ताव पर भारत के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि यूक्रेन में युद्ध को लेकर भारत के रुख में एक ‘निश्चित बदलाव' आया है। उन्होंने कहा कि रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए जर्मनी भारतीय पक्ष को ‘कसूरवार' नहीं ठहराएगा, लेकिन वह उम्मीद करता है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन के संबंध में स्पष्ट रुख रखा जाए।

युद्ध से उपजे वैश्विक ऊर्जा संकट का उल्लेख करते हुए एकरमैन में कहा कि इससे निपटने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जरूरत है और जर्मनी, भारत की गिनती भी इस समूह में करता है। पुतिन के लिए युद्ध समाप्त करने के प्रधानमंत्री मोदी के संदेश के बारे में पूछे जाने पर जर्मन राजदूत ने कहा, “यह एक ऐसा संदेश है, जिसे यूरोप में बड़े पैमाने पर बहुत सकारात्मक रूप में लिया गया है। यह एक बहुत प्यारा संदेश है। पूरी दुनिया इसे सुन रही थी।” उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही स्पष्ट और जोरदार संदेश था। मैं बता नहीं सकता कि मैं प्रधानमंत्री मोदी से किस कदर सहमत हूं। इसलिए हम इस संदेश को सुनकर बहुत खुश हुए।”

उज्बेकिस्तान में 16 सितंबर को पुतिन के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में मोदी ने कहा था कि ‘आज का युग युद्ध का युग नहीं है।' उन्होंने रूसी राष्ट्रपति से संघर्ष को समाप्त करने का आग्रह किया था। यूक्रेन संकट से निपटने में यूरोप की रणनीति तैयार करने में जर्मनी अहम भूमिका निभा रहा है। उसने यूक्रेन में बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता भेजने के साथ ही 10 लाख से अधिक यूक्रेनी शरणार्थियों को शरण दी है।

एकरमैन ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर रूस के कब्जे के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में पेश प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भारत की ओर से दिए गए बयान का भी जिक्र किया। हालांकि, भारत इस प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा था। उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से कुछ मुद्दों पर असहमति है। मैं कहूंगा कि अगर पिछले कुछ महीनों में आप इस संबंध में भारत की ओर से दिए गए बयानों को ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको भारतीय रुख में एक स्पष्ट बदलाव दिखेगा।”

जर्मन राजदूत ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि ने रूसी कब्जे से जुड़े प्रस्ताव पर मतदान के दौरान क्या कहा, उसे हमने ध्यान से पढ़ा। दुर्भाग्य से, भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन भारतीय प्रतिनिधि ने जो कहा, उससे स्पष्ट हो गया कि भारत का देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बहुत जोर है।”

 


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Content Writer

Yaspal

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