इस किताब में हुआ डोकलाम विवाद का नया खुलासा

punjabkesari.in Saturday, Sep 30, 2017 - 04:05 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई बैठक में डोकलाम विरोधी प्रस्ताव का मंच तैयार किया गया था। एक नई किताब ने इस बात का खुलासा किया है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ नितिन ए. गोखले द्वारा लिखी किताब "सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वे" में इस बात का खुलासा किया गया है कि जी -20 में शी से मोदी की अघोषित मुलाकात में यह तय किया गया था।
 16 जून से 7 जुलाई तक चले इस सम्मेलन को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी, वहीं चीनी अधिकारियों ने किसी भी तरह के द्विपक्षीय वार्ता से साफ इंकार किया था।

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बता दें कि गोखले की इस किताब का वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को विमोचन किया। किताब के मुताबिक, दोनों नेताओं की संक्षिप्त मुलाकात के दौरान, मोदी ने शी को सुझाव दिया कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी राज्य काउंसलर यांग जीइची को डोकलाम मुद्दे को सुलझाने के प्रयास का नेतृत्व करना चाहिए। मोदी ने कहा था, "हमारे सामरिक संबंध डोकलाम जैसे छोटे सामरिक मुद्दों से काफी बड़े हैं।"

इसके 15 दिनों बाद ही अजीत डोभाल ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने बीजिंग गए। किताब में यह भी कहा गया है कि, इस पूरे डोकलाम मामले में बीजिंग में राजदूत विजय गोखले के नेतृत्व में दोनों पक्षों के बीच करीब 38 बैठकें हुईं। एनएसए डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर की टीम को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कूटनीति और दृढ़ता के सख्त निर्देश दिए गए थे। इसके अलावा सितंबर में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से भी इस मामले को सुलझाने में काफी मदद मिली। भारत और चीन में से किसी ने भी मामले के हल को लेकर किसी तरह का ब्योरा नहीं दिया। किताब से इस बात का भी पता चलता है कि मई में शुरु होकर अगस्त तक चला यह डोकलाम मुद्दा तीन चरणों में बंट गया था।


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