मिर्चपुर हत्याकांड:  आजादी के 71 साल बाद भी दलितों के खिलाफ नहीं रुका अत्याचार

punjabkesari.in Saturday, Aug 25, 2018 - 06:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): हरियाणा के हिसार जिले का मिर्चपुर गांव, एक कुत्ते के भोंकने से शुरू हुआ जाट और वाल्मीकि लड़कों के बीच झगड़ा तो सभी को याद ही होगा। इस दौरान वाल्मीकियों के 18 घरों को आग की भेंट चढ़ा दिया गया था। इस विवाद में बूढ़े तारा चंद और उसकी दिव्यांग बेटी जिंदा जला दिए गए। कई बाल्मीकि घायल हुए और उनकी संपत्तियों को नष्ट कर दिया गया। 254 वाल्मीकि परिवारों को मिर्चपुर गांव छोड़ कर जाना पड़ा था।

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शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने रोहिणी कोर्ट के द्वारा बरी किए गए आरोपियों में से 20 को दोषी करार दिया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत से सजा पाने वाले 13 दोषियों में से कुछ की सजा बढ़ाई है। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आइएस मेहता की पीठ ने इन 33 दोषियों में से 12 को उम्रकैद की सजा, 12 दोषियों को 2-2 साल और 9 को 1-1 साल कैद की सजा सुनाई गई है। हाईकोर्ट ने दोषियों को सरेंडर करने के लिए एक सितंबर तक का समय दिया।

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  • दिल्ली हाई कोर्ट फैसले की खास बातें
  • आजादी के 71 साल बाद भी अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं आज भी जारी हैं।
  • यह भारतीय समाज में समानता और बंधुत्व के अभाव का सबूत है।
  • इस घटना ने दलितों को ऐसा जख्म दिया है कि उनमें से कईयों को इस घटना के कई दिन बाद तक इसके बारे में पुलिस को बताने की हिम्मत नहीं हुई।
  • मिर्चपुर के दलितों के साथ साथ लाखों दलितों का पूछना है कि वे कब तक अंतर्विरोध की जिंदगी जीते रहेंगे।
  • अगर हम संविधान को बचाना चाहते हैं तो हमें समाज की बुराईयों को पहचाना होगा और उन्हें खत्म करना होगा।PunjabKesari
  •  मिर्चपुर की घटना को आठ साल से ज्यादा वक्त हो गया है। वापस मिर्चपुर में बसने की हिम्मत सिर्फ  40-45 परिवार ही जुटा पाए हैं। ज्यादातर परिवार अभी भी वेद पाल तंवर के फार्महाउस में शरणार्थी की जिंंदगी जी रहे हैं। ....2010 में केंद्र और हरियाणा में कांग्रेस सरकार के रहते दलितों पर अत्याचार  हुआ कैसे ? दलितों पर अत्याचार तो हाल ही के दिनों में बढे हैं न? 

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shukdev

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