Sleep and Death: क्या सोते वक्त शरीर छोड़ देती है आत्मा? चौंकाने वाले आध्यात्मिक रहस्य

punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 10:20 AM (IST)

नेशनल डेस्क: नींद और मृत्यु को अक्सर एक-दूसरे के करीब माना जाता है, क्योंकि दोनों ही अवस्थाओं में शरीर की गतिविधियां धीमी पड़ जाती हैं। जब हम सोते हैं, तो शरीर आराम करता है और दिमाग अलग-अलग चरणों की नींद में जाता है। इस दौरान हमारी चेतना पूरी तरह खत्म नहीं होती, बल्कि उसका स्वरूप बदल जाता है।

 नींद का रहस्य: जब शरीर सोता है, तो आपकी 'आत्मा' कहाँ का सफर करती है?

विज्ञान नींद को केवल शारीरिक और मानसिक थकान दूर करने वाली प्रक्रिया मानता है, लेकिन अध्यात्म की दुनिया में इसे 'लघु मृत्यु' (Mini Death) कहा जाता है। आत्मा, जिसे न तो शस्त्र काट सकते हैं और न ही अग्नि जला सकती है, सोते समय किन अनुभवों से गुजरती है, इसे लेकर दो प्रमुख विचारधाराएं प्रचलित हैं:

1. शरीर के भीतर विश्राम: चेतना का अंतर्मुखी होना
प्राचीन भारतीय दर्शन के अनुसार, निद्रावस्था में आत्मा शरीर का त्याग नहीं करती, बल्कि वह 'अवस्था परिवर्तन' से गुजरती है। इस मत के अनुसार, जब हम सोते हैं, तो हमारी इंद्रियां और मन शांत हो जाते हैं, और आत्मा हृदय के भीतर स्थित 'परमात्मा' के अंश के साथ एकाकार होकर शांति का अनुभव करती है। इस स्थिति में आत्मा भी सुप्तावस्था में रहती है, जिससे जागने पर हमें ताजगी का अहसास होता है।

2. सूक्ष्म यात्रा (Astral Travel): लोकों की रहस्यमयी सैर
दूसरी ओर, कई गूढ़ विद्याओं और तांत्रिक मान्यताओं का मानना है कि नींद के दौरान आत्मा 'सूक्ष्म शरीर' के माध्यम से स्थूल शरीर से बाहर निकलती है।

सूक्ष्म भ्रमण: इसे ही 'Astral Travel' कहा जाता है। इस दौरान आत्मा ब्रह्मांड के अन्य आयामों और लोकों की यात्रा करती है।

सपनों का विज्ञान: जो कुछ हम सपनों में देखते हैं, वह अक्सर उसी सूक्ष्म यात्रा का अनुभव होता है। कभी-कभी हमें ऐसे स्थान या लोग दिखते हैं जिन्हें हमने पहले कभी नहीं देखा, वे इसी यात्रा की झलकियां मानी जाती हैं।

comeback : जैसे ही शरीर को जागने का संकेत मिलता है, आत्मा पलक झपकते ही वापस लौट आती है।

मृत्यु और निद्रा: संकेतों का अंतर
अध्यात्म में नींद और मौत के बीच के फर्क को संकेतों से समझा जाता है। कहा जाता है कि जब अंतिम विदाई का समय करीब आता है, तो प्रकृति कुछ आभास देती है:- छाया का साथ छोड़ना: मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के करीब आने पर व्यक्ति को अपनी परछाई दिखना बंद हो जाती है।

आत्म-चिंतन: अंतिम समय में इंसान अपनी पुरानी गलतियों को लेकर भावुक और उदास रहने लगता है।


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Content Editor

Anu Malhotra

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