मैक्स हॉस्पिटल में नहीं मिलेगा अब कैशलेस इलाज, 3 बड़ी बीमा कंपनियों ने तोड़ा रिश्ता, दिग्गज नाम हैं शामिल
punjabkesari.in Wednesday, Aug 27, 2025 - 06:03 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए मैक्स अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को अब बड़ा झटका लगा है। देश की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा कंपनियों निवा बुपा, स्टार हेल्थ और केयर हेल्थ इंश्योरेंस ने मैक्स हॉस्पिटल नेटवर्क से कैशलेस सुविधा को बंद करने का फैसला किया है। इन कंपनियों ने साफ किया है कि अब देशभर में मैक्स हॉस्पिटल की किसी भी ब्रांच में कैशलेस मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा। इससे पहले मैक्स हॉस्पिटल ने बजाज आलियांज की कैशलेस सुविधा को भी बंद कर दिया था।
इन बीमा कंपनियों ने कहा है कि यदि मरीज को मैक्स अस्पताल में इलाज कराना जरूरी हो, तो वह रीइंबर्समेंट मोड में क्लेम कर सकता है। यानी, पहले मरीज को जेब से पूरा खर्च देना होगा और बाद में बीमा कंपनी उसे दस्तावेजों के आधार पर वापस करेगी। इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों में शामिल हैं:
डिस्चार्ज समरी
सभी मेडिकल रिपोर्ट्स
डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन और नोट्स
सभी बिल
आधार कार्ड, पैन कार्ड
कैंसल चेक
अस्पतालों ने रोकी इन कंपनियों की कैशलेस सर्विस
दो दिन पहले, अस्पतालों के संगठन AHPI (एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया) ने अपने सभी सदस्य अस्पतालों को निर्देश दिया था कि 1 सितंबर से बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस की कैशलेस सुविधा को बंद कर दिया जाए। इस निर्णय में मैक्स सुपर स्पेशलिटी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स और अन्य निजी अस्पतालों समेत 20,000 से अधिक अस्पताल शामिल हैं।
इसी तरह का नोटिस केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी भेजा गया है। AHPI ने कंपनी से 31 अगस्त तक जवाब मांगा है। अगर कंपनी तय समय तक संतोषजनक जवाब नहीं देती, तो केयर पॉलिसीधारकों के लिए भी सभी अस्पतालों में कैशलेस सुविधा बंद कर दी जाएगी।
क्या है विवाद की जड़?
AHPI के महानिदेशक डॉ. गिर्धर ग्यानी के अनुसार, भारत में मेडिकल खर्च हर साल 7-8% की दर से बढ़ रहा है। इसमें स्टाफ की सैलरी, दवाइयों की कीमत, मेडिकल उपकरण, बिजली-पानी जैसे अनिवार्य खर्च शामिल हैं। ग्यानी ने कहा कि अस्पताल अपनी ओर से कोशिश कर रहे हैं कि इलाज की लागत कम रहे, लेकिन पुराने रेट पर सेवाएं देना अब संभव नहीं है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, जिसे AHPI और उसके सदस्य अस्पताल स्वीकार नहीं कर सकते।
ग्यानी ने बताया कि बजाज आलियांज लगातार हर दो साल में दरों में संशोधन की मांग को ठुकराता रहा है, और उल्टा रेट कम करने का दबाव बनाता है। इसके साथ ही बीमा कंपनी पर यह भी आरोप है कि वह क्लेम सेटलमेंट में देरी करती है और मरीजों को डिस्चार्ज अप्रूवल भी देर से मिलते हैं, जिससे अस्पतालों को भी संचालन में दिक्कत होती है।