इन इलाकों में बदल गई शादी की परंपरा… 1 लाख तक लगेगा जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला

punjabkesari.in Tuesday, Nov 25, 2025 - 02:13 AM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तराखंड के चकराता क्षेत्र में सामाजिक बदलाव की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली है। यहां 20 से अधिक गांवों ने मिलकर शादी-विवाह में होने वाली फिजूलखर्ची, दिखावा और आधुनिक तामझाम पर पूरी तरह रोक लगाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इन गांवों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से ऐसे नियम बनाए हैं जिनका उद्देश्य लोगों को सामाजिक दबाव से बचाना और अनावश्यक खर्च कम कराना है। नियम तोड़ने वालों पर ग्राम पंचायत 1 लाख रुपये तक का भारी जुर्माना लगाएगी।

अब शादी में नहीं मिलेगा चाउमीन–मोमोज, सिर्फ पारंपरिक गढ़वाली थाली

नए नियमों के अनुसार विवाह भोज (प्रीतिभोज) में चाउमीन, मोमोज जैसे सभी फास्ट फूड पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। अब मेहमानों को परोसी जाएगी सिर्फ पारंपरिक गढ़वाली थाली, जिसमें मंडुआ, झंगोरा और अन्य स्थानीय अनाजों से बने व्यंजन शामिल होंगे। गांवों का मानना है कि इससे पहाड़ी खान-पान को प्रोत्साहन मिलेगा और संस्कृति की जड़ें मजबूत होंगी।

फिजूलखर्ची पर सख्त रोक

महंगे तोहफे, लग्जरी सामान और अनावश्यक खर्च पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। जौनसार-बावर क्षेत्र के दाऊ, दोहा, छुटौ, बजौ, घिंगो और कैटरी जैसे गांवों ने इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह प्रयास समाज को दिखावे की दौड़ से बाहर निकालकर सरल और सांस्कृतिक विवाह परंपरा को बढ़ावा देगा।

डीजे और शराब पर भी बैन

यह पहल सिर्फ चकराता तक सीमित नहीं रही। उत्तरकाशी जिले के नौगांव क्षेत्र के कोटी थाकराल और कोटी बनाल गांवों ने भी शादियों में डीजे संगीत और शराब के इस्तेमाल पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं।
इसके स्थान पर पारंपरिक लोकगीत और पहाड़ी वाद्ययंत्रों को अनिवार्य किया गया है, ताकि स्थानीय संस्कृति जीवित रहे।

लोग कर रहे फैसले की सराहना

उत्तराखंड के इन गांवों के इस कदम की पूरे राज्य में सराहना हो रही है। लोग मानते हैं कि यह निर्णय नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने के साथ-साथ शादी को एक दिखावे की प्रतियोगिता बनने से रोककर उसे एक शांत, सरल और खुशी का अवसर बनाएगा।


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News Editor

Parveen Kumar

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