बदनामी हो जाएगी साहब! बेटी बालिग है... गिड़गिड़ाते रहे परिजन, मंडप से उठा ले गए दुल्हन
punjabkesari.in Saturday, Apr 12, 2025 - 02:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क। अमरोहा के हसनपुर में एक किसान की बहन की शादी उस वक्त बीच में ही रुकवा दी गई जब जिला प्रोबेशन अधिकारी और उनके स्टाफ ने दुल्हन को नाबालिग बताकर विवाह समारोह में हस्तक्षेप किया। आरोप है कि इन अधिकारियों ने 50 हजार रुपये की रिश्वत न मिलने पर शादी रुकवाई और युवती को बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए वन स्टॉप सेंटर भेज दिया।
अब इस मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी और उनके सात कर्मचारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह जिम्मेदारी जिलाधिकारी (DM) को सौंपी है और 5 मई 2025 तक रिपोर्ट तलब की है।
क्या है पूरा मामला?
हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी किसान ने बताया कि 5 मार्च 2025 को उसकी बहन की शादी थी। घर में बारात आ चुकी थी मंडप सजा था और शादी की रस्में शुरू हो चुकी थीं। इसी बीच शादी समारोह में जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देश पर गजेंद्र, सुरभि यादव, आदिल, कपिल, अशोक, मनोज, वीरू और एक अज्ञात व्यक्ति पहुंचे।
किसान के मुताबिक इन लोगों ने दुल्हन को नाबालिग बताया और धमकी देने लगे। उन्होंने कहा कि अगर शादी करनी है तो 50 हजार रुपये देने होंगे वरना कार्रवाई होगी। जब किसान और उसके परिजनों ने रिश्वत देने से इनकार किया तो वे लोग लड़की को शादी के मंडप से उठाकर वन स्टॉप सेंटर ले गए।
यह भी पढ़ें: या तो ये बोल्ड सीन करें या फिर फिल्म छोड़ दें... इस फेमस एक्ट्रेस को Amitabh Bachchan के आगे उतारना था टॉप
कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी का आरोप
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि लड़की को बाल कल्याण समिति में पेश किए बिना ही सीधे वन स्टॉप सेंटर भेजा गया। बाद में लड़की परिजनों के साथ लौट आई लेकिन तब तक बरात बिना दुल्हन के लौट चुकी थी और शादी टूट गई थी।
वहीं किसान का कहना है कि अधिकारी उसे धमकी दे रहे थे कि अगर उसने विरोध किया तो लड़की का फर्जी आधार कार्ड बनाकर पूरे परिवार को जेल भिजवा देंगे। इस घटना से परिवार मानसिक और सामाजिक तौर पर पूरी तरह टूट गया है और लड़की भी गहरे सदमे में है।
पुलिस ने एक नहीं सुनी, कोर्ट में पहुंचा मामला
किसान का कहना है कि उसने इस मामले की शिकायत स्थानीय पुलिस से भी की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में वह न्यायालय की शरण में पहुंचा। इस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ओमपाल सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम को जांच का आदेश दिया है और कहा है कि 5 मई तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।
अब क्या होगा आगे?
फिलहाल इस मामले में न्यायालय की ओर से आदेश के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो प्रोबेशन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
अब निगाहें डीएम की रिपोर्ट पर टिकीं
इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार की खुशियां छीनीं बल्कि प्रशासनिक कार्यशैली और संवेदनहीनता पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब सबकी नजरें जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट पर हैं जिससे साफ हो सकेगा कि गलती कहां और किसकी थी।