नक्सलियों की तलाश में बेखौफ घूम रही महिला CRPF अधिकारी

punjabkesari.in Wednesday, Jan 11, 2017 - 08:36 PM (IST)

छतीसगढ़ : तीन दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहा बस्तर अब शांति की ओर बढ़ा रहा है। जहां एक ओर माओवादियों के सफाए के लिए लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर अब माओवादियों से लोहा लेने के लिए सीआरपीएफ में महिला अधिकारी की नियुक्ति की गई है, जो माओवादियों के सबसे सुरक्षित इलाके दरभा में अपनी टुकड़ी के साथ माओवादियों की तलाश कर रही हैं। बस्तर में सीआरपीएफ की पहली महिला असिस्‍टेंट कंमांडेंट उषा किरण मिशन-2017 के तहत दरभा को पूरी तरह नक्सलमुक्त करने के प्रण के साथ बस्‍तर आई हैं। उषा किरण बताती हैं कि उनकी सेवाएं 332 महिला बटालियन में थीं, जहां पर उन्हें आगामी सेवा के लिए 3 विकल्प दिए गए, जिसमें से उन्होंने नक्सल प्रभावित बस्तर में आना स्वीकार किया।

पिता से मिली बसतर आने की प्रेरणा
इसके पीछे मूल वजह यह रही कि उन्होंने सुन रखा था कि बस्तर के स्थानीय निवासी गरीब भोले-भाले हैं और बस्तर विकास से कोसों दूर हैं, क्योंकि नक्सली हिंसा के चलते विकास कार्य गति नहीं पकड़ पाया है। इन सबसे भी बढ़कर उनके पिता विजय सिंह का वास्तविक अनुभव उनके लिए बस्तर आने की प्रेरणा का कारण बना, क्योंकि उनके पिता वर्ष 2008-09 के दौरान सीआरपीएफ की अपनी सेवा के तहत सुकमा जिले में कार्य कर चुके हैं।

जवानों का बढ़ा मनोबल
दरभा के थानेदार विवेक उईके की धारणा है कि महिला अधिकारी के आगमन तथा उनके अभियान संबंधी विचारधारा से बलों के जवानों का मनोबल बढ़ा है। पहले अभियान की योजनाएं ऊपर से भेजी जाती रही हैं, लेकिन अब उषा किरण की नीति यह है कि धरातल पर कार्यरत जवानों एवं अधिकारियों के द्वारा योजना तैयार कर उन्हें अमल में लाया जाए।

अब महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर निश्चित
उषा किरण ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि उन्हें महज एक महिला न मानें और वे उन सबके साथ हर कठिन परिस्थिति में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेंगी। एक ग्रामीण आदिवासी महिला का कहना था कि अब हम महिलाएं अपनी स्वयं एवं अपनी अस्मिता की सुरक्षा के प्रति निश्चिंत हैं, क्योंकि हमारे हितों एवं भावनाओं की रक्षा के लिए एक महिला अधिकारी मौजूद है।


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