कई बार महिलाएं पति पर दबाव बनाने के लिए करती हैं धारा 498A का गलत इस्तेमाल...जानिए क्यों बोला ओडिशा HC
punjabkesari.in Tuesday, Jun 13, 2023 - 01:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: ओडिशा हाईकोर्ट एक महिला से घरेलू हिंसा के मामले पर सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 498A के दुरुपयोग पर अहम टिप्पणी की। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 498A का दुरुपयोग अक्सर पति के परिवार पर दबाव बनाने के लिए किया जाने लगा है।
क्या है मामला
एक महिला ने आईपीसी की धारा 498A के तहत केस दायर किया था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसका पति महिला के रिश्तेदार के नाम पर घरेलू हिंसा करता है। हालांकि, मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि महिला ने पति पर जिस रिश्तेदार के नाम पर घरेलू हिंसा करने का आरोप लगाया है, वो उस घर में रहती ही नहीं है। कोर्ट ने इस केस को खारिज कर दिया। साथ टिप्पणी की कि कई बार महिलाओं ने पति के परिवार पर दबाव बनाने के लिए धारा 498A का गलत इस्तेमाल किया जाता है। अगर किसी शादीशुदा महिला पर उसके पति या उसके ससुराल वालों की ओर से किसी तरह की 'क्रूरता' की जा रही है तो आईपीसी की धारा 498A के तहत ये अपराध के दायरे में आता है। क्रूरता, शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की हो सकती है। शारीरिक क्रूरता में महिला से मारपीट करना शामिल है। वहीं, मानसिक क्रूरता में उसे प्रताड़ित करना, ताने मारना, उसे तंग करना जैसे बर्ताव शामिल है। इस धारा के तहत, दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल हो सकती है, इसके साथ ही दोषियों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में धारा 498A के तहत देशभर में 1.36 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। जबकि, इससे एक साल पहले 2020 में 1.11 लाख मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, अगर धारा 498A के मामलों में कन्विक्शन रेट देखें तो सिर्फ 100 में से 17 केस ही ऐसे हैं जिनमें दोषी को सजा मिलती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित महिला को साफ बताना होगा कि किस समय, किस दिन, उसके साथ उसके पति और उसके ससुराल के किन लोगों ने किस तरह की क्रूरता की है. केवल ये कह देने से कि उसे परेशान किया जा रहा है, इससे धारा 498A का मामला नहीं बनता है।