'महिलाओं की सुरक्षा के लिए देश में कई सख्त कानून बनाए गए', न्यायपालिका सम्मेलन में बोले पीएम मोदी
punjabkesari.in Saturday, Aug 31, 2024 - 12:37 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कोलकाता में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की कथित हत्या और यौन उत्पीड़न पर बढ़ते आक्रोश के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए देश में कई सख्त कानून बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आधी आबादी (महिलाओं) को अधिकतम सुरक्षा तभी मिलेगी जब महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, "आज महिलाओं पर अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा... समाज की गंभीर चिंताएं हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए देश में कई सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन हमें इसे और अधिक सक्रिय बनाने की जरूरत है। महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले लिए जाएंगे, आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही भरोसा मिलेगा।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को भारत मंडपम में जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
हमारी न्यायपालिका इस विजन का एक मजबूत स्तंभ- मोदी
उनकी यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी द्वारा शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र के बाद आई है, जिसमें उन्होंने बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर कड़े केंद्रीय कानून और कठोर सजा के लिए अपना अनुरोध दोहराया था। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ''आज़ादी के अमृतकाल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है- विकसित भारत, नया भारत। नया भारत यानी सोच और संकल्प में आधुनिक भारत। हमारी न्यायपालिका इस विजन का एक मजबूत स्तंभ है।''
#WATCH | Delhi: Prime Minister Narendra Modi says, "In the Amritkaal of Independence, 140 crore countrymen have only one dream – Developed India, New India. New India, that is – a modern India in thinking and determination. Our judiciary is a strong pillar of this vision. pic.twitter.com/WyKq60fypf
— ANI (@ANI) August 31, 2024
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्याय में देरी को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले एक दशक में न्याय में देरी को खत्म करने के लिए विभिन्न स्तरों पर महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। पिछले 10 वर्षों में देश ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास पर लगभग 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले 25 वर्षों में न्यायिक बुनियादी ढांचे पर खर्च की गई कुल राशि का 75% अकेले पिछले 10 वर्षों में खर्च किया गया है।"
नया भारतीय न्यायिक कानून मिला
उन्होंने कहा, "हमें भारतीय न्यायिक संहिता के रूप में नया भारतीय न्यायिक कानून मिला है। इन कानूनों की भावना है - 'नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले'। हमारे आपराधिक कानून शासकों और गुलामों की औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त हैं।" प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय की भी प्रशंसा की और कहा कि न्यायपालिका संविधान की रक्षक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारे लोकतंत्र में न्यायपालिका को संविधान का रक्षक माना जाता है। यह अपने आप में बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस जिम्मेदारी को निभाने का एक उत्कृष्ट प्रयास किया है।" प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत के लोगों ने कभी भी सर्वोच्च न्यायालय, हमारी न्यायपालिका पर अविश्वास नहीं किया है। 'लोकतंत्र की जननी' के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं। इससे हमारे सांस्कृतिक लोकाचार को भी मजबूती मिलती है, जिसमें कहा गया है, 'सत्यमेव जयते-ननृतम्'।"
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन
अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया और भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्के का अनावरण किया। इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्मृति चिन्ह भेंट किया। सर्वोच्च न्यायालय 31 अगस्त से 1 सितंबर तक जिला न्यायपालिका का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में पांच कार्य सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जिला न्यायपालिका से संबंधित मुद्दों जैसे बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन, सभी के लिए समावेशी न्यायालय, न्यायिक सुरक्षा और न्यायिक कल्याण, मामला प्रबंधन और न्यायिक प्रशिक्षण पर विचार-विमर्श और चर्चा की जाएगी। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल भी उपस्थित थे।