विकास का इंजन बनेगा विनिर्माण, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
punjabkesari.in Sunday, Jun 29, 2025 - 04:01 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत का विनिर्माण क्षेत्र तेज़ी से बदलाव की दिशा में बढ़ रहा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही बुनियादी ढांचा योजनाएं और स्पष्ट नीतियां इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों की ओर ले जा रही हैं। रिपोर्ट का नाम है "भारत के विनिर्माण लचीलेपन को बढ़ाना: आत्मनिर्भरता के लिए मार्ग तैयार करना", जिसे कुशमैन एंड वेकफील्ड ने प्रकाशित किया है।
बड़ी कंपनियों का भरोसा: विस्तार की योजना
सर्वेक्षण में शामिल 94 प्रमुख उद्योगपतियों में से 88% ने बताया कि वे भारतमाला, सागरमाला, समर्पित माल गलियारा और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा जैसी योजनाओं से प्रभावित होकर अपना व्यवसाय बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही, 95% कंपनियों ने बताया कि उन्हें लॉजिस्टिक्स (रसद) में अब पहले से बेहतर पहुंच मिल रही है।
सरकारी योजनाओं का सीधा असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना) और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) जैसे कार्यक्रम व्यापार के फैसलों को तेजी से प्रभावित कर रहे हैं। खासतौर पर एमएसएमई क्षेत्र को इन नीतियों से बेहतर कनेक्टिविटी और व्यापार करने में सुविधा मिली है।
चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं
हालांकि, कुछ बड़ी चुनौतियां अब भी सामने हैं जैसे कि –
➤ भारत में लॉजिस्टिक्स लागत अभी भी काफी अधिक है
➤ स्टोरेज स्पेस बहुत कम है (भारत में केवल 0.2 वर्ग फीट प्रति व्यक्ति, जबकि अमेरिका में यह 47.3 वर्ग फीट है)
➤ घरेलू स्तर पर मूल्य संवर्धन भी कम है (चीन के मुकाबले)
➤ कौशल की कमी, खासकर छोटे उद्योगों में
समाधान की दिशा में पाँच स्तंभीय रणनीति
रिपोर्ट में इन समस्याओं से निपटने के लिए एक पाँच-आधार वाली रणनीति की सिफारिश की गई है, जिसमें शामिल हैं:
➤ प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क
➤ मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क
➤ कौशल विकास कार्यक्रम
➤ एमएसएमई सुधार
➤ डिजिटल एक्सपोर्ट प्लेटफॉर्म