Edible Oil Prices : सरसों, मूंगफली और सोयाबीन समेत कई तेल की कीमतों में गिरावट, जानिए लेटेस्ट कीमतें

punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2025 - 09:53 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  बुधवार को मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट का प्रभाव देश के तेल-तिलहन बाजार पर भी देखने को मिला। अधिकांश देशी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। इनमें सरसों तेल-तिलहन, मूंगफली तेल, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन और बिनौला तेल शामिल हैं। हालांकि, मूंगफली तिलहन और सोयाबीन तिलहन के दाम स्थिर बने रहे।

सरसों तेल-तिलहन में गिरावट

सूत्रों के अनुसार, सरसों की नई फसल अगले महीने मंडियों में आने की संभावना है, जिससे सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट दर्ज की गई। इस बार सरसों उत्पादन को किसी प्रतिकूल स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि हाफेड और नाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं ने नियंत्रित ढंग से सरसों के स्टॉक को बाजार में जारी किया।

मूंगफली और बिनौला खल में तेजी

हाल के दिनों में मूंगफली और बिनौला खल के दाम में सुधार हुआ है। अधिकांश राज्यों में इन खलों के दाम में 15-20 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार देखा गया है। इस वजह से मूंगफली तेल और बिनौला तेल के दाम टूटे हैं।

सोयाबीन तेल के आयात पर दबाव

सोयाबीन डीगम तेल की आयात लागत लगभग 102 रुपये प्रति किलो है, लेकिन वित्तीय दिक्कतों के कारण आयातक इसे बंदरगाहों पर लगभग 97 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेच रहे हैं। इस कम दाम की बिकवाली के कारण सोयाबीन तेल के दाम में गिरावट देखी जा रही है।

सीपीओ और पामोलीन के दामों में गिरावट

मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के साथ-साथ ऊंचे भाव पर खरीदारों की कमी ने कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के दामों को भी नीचे ला दिया।

कपास उत्पादन में कमी और किसानों की स्थिति

भारत में कपास का उत्पादन वर्ष 2017-18 के 370 लाख गांठ के मुकाबले इस वर्ष (2024-25) घटकर लगभग 295 लाख गांठ रह गया है। किसानों को कपास की फसल पर लाभकारी मूल्य नहीं मिलने और नकली बीजों के कारोबार पर नियंत्रण की कमी के कारण उत्पादन घटा है।

तेल-तिलहन उद्योग में विसंगतियां

विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य तेल की कीमतों पर अत्यधिक ध्यान दिया जाता है, लेकिन खल के दाम बढ़ने से दूध के दाम तुरंत बढ़ा दिए जाते हैं। इसके विपरीत, खल के दाम घटने पर दूध की कीमतों में कोई कमी नहीं देखी जाती। इस असमानता को ठीक किए बिना तिलहन उत्पादन बढ़ाना मुश्किल है।

खाद्य तेल के दाम बढ़ाने की जरूरत

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि खाद्य तेल की कीमतों में मामूली वृद्धि से किसानों को तिलहन उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा। इससे विदेशी मुद्रा की बचत भी हो सकेगी।

तेल-तिलहनों के भाव (प्रति क्विंटल):

  • सरसों तिलहन: ₹6,550-₹6,600
  • मूंगफली: ₹5,850-₹6,175
  • मूंगफली तेल (मिल डिलिवरी, गुजरात): ₹13,850
  • मूंगफली रिफाइंड तेल: ₹2,105-₹2,405 (प्रति टिन)
  • सरसों तेल (दादरी): ₹13,550
  • सरसों पक्की घानी: ₹2,300-₹2,400 (प्रति टिन)
  • सरसों कच्ची घानी: ₹2,300-₹2,425 (प्रति टिन)
  • तिल तेल (मिल डिलिवरी): ₹18,900-₹21,000
  • सोयाबीन तेल (मिल डिलिवरी, दिल्ली): ₹13,500
  • सोयाबीन तेल (मिल डिलिवरी, इंदौर): ₹13,300
  • सोयाबीन तेल डीगम (कांडला): ₹9,650
  • सीपीओ (एक्स-कांडला): ₹12,950
  • बिनौला तेल (मिल डिलिवरी, हरियाणा): ₹12,100
  • पामोलीन आरबीडी (दिल्ली): ₹14,200
  • पामोलीन (एक्स-कांडला): ₹13,300 (बिना जीएसटी)
  • सोयाबीन दाना: ₹4,400-₹4,450
  • सोयाबीन लूज: ₹4,100-₹4,200

 

 

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Related News