जल संकट से जूझ रहा महाराष्ट्र, कर्नाटक से वापस मांगा पानी
punjabkesari.in Wednesday, May 22, 2019 - 01:54 PM (IST)
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र तब तब कनार्टक के साथ जल समझौता नहीं करेगा जब तक कनार्टक की तरफ से लंबित आपूर्ति के उसके 600 मिलियन क्यूबिक फीट पानी की वापसी नहीं की जाती। 2016 में कर्नाटक को दिए गए कुछ 6.787 टीएमसीएफटी में से केवल 0.078 पानी ही लौटाया गया। दोनों राज्य अब इस स्थिती पर सीमा के दोनों तरफ 4 टीएमसीएफटी जल के आदान प्रदान के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए बच रहे हैं।
शर्त में कहा गया है कि कनार्टक समझौते की अवधि समाप्त होने पर 10.787 टीएमसीएफटी पानी की वापसी करेगा। दोनों राज्यों के जल संस्थान मंत्रियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं कि वे समझौते को कमजोर कर रहे हैं। कनार्टक के जल संस्थान मंत्री डी के शिवकुमार ने शनिवार को महाराष्ट्र के MoU को रदृ करने के फैसले को चौंका देने वाला बताया। इससे पहले हमारे अनुरोध का महाराष्ट्र सरकार उचित भुगतान के बाद पानी की आपूर्ति करने पर सहमत हो गई थी लेकिन अब वह अपने फैसले से मुकर रही है और अब कृष्णा नदी के लिए पानी को छोड़ नहीं रही है।
शिवकुमार ने कहा कि यह अप्रत्याशित और आघात पहुंचाने वाला फैसला है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि कनार्टक ने महाराष्ट्र से पानी की पूर्ति के लिए धनराशि का भुगतान किया था। उन्होंने कहा कि 1916 के आद भी हमने अधिकांश बिलों का भुगतान किया है और 5.35 टीएमसीएफटी जल की आपूर्ति के लिए अब 35 करोड़ लंबित है। इसके जवाब में महाराष्ट्र के जल संस्थान मंत्री गरिश महाजन ने कहा कि जब तक लंबित अपूर्ति को पानी वापिस नहीं किसा जाता तब तक जल समझौते पर हस्ताक्षर करने का प्रशन ही नहीं उठता। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि कर्नाटक के मंत्री और सचिव हमारे फोन भी नहीं उठाते इसलिए समझौते की बात को भूल जाओ।
गारैतलब है कि महाराष्ट्र में पिछले साल के मुकाबले पानी का संकट और भयावह हो सकता है। राज्य सरकार के जल संरक्षण विभाग के अनुसार 26 जलाशयों में जल भंडारण शून्य के आसपास पहुंच गया है। जानकारी के मुताबिक राज्य के 103 बड़े, मध्यम और छोटे आकार के जलाशयों में 11.84 फीसदी पानी बचा है जबकि पिछले साल इसी समय 23.73 प्रतिशत पानी था।