नई संसद भवन के निर्माण पर बोले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, जनरल मीटिंग में किसी ने नहीं उठाया सवाल

punjabkesari.in Friday, Jun 18, 2021 - 07:07 PM (IST)

नई दिल्लीः कोविड काल में नये संसद भवन के निर्माण को लेकर विपक्ष के सवालों के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज आशा व्यक्त की कि अक्टूबर 2022 तक संसद की बचत से ही नए संसद भवन के निर्माण की लागत वसूल हो जाएगी। बिरला ने 17वीं लोकसभा के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर आज यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में एक सवाल पर कहा कि वर्ष 2019-20 में 151.44 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2020-21 में 249.54 करोड़ रुपए की बचत हुई है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि केंटीन, बागवानी, प्रिंटिंग आदि मदों में अब तक करीब 400.98 करोड़ रुपए की बचत हुई है जो संसद के नए भवन की लागत 971 करोड़ रुपए के लगभग आधे के बराबर है। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि संसद के नए भवन का निर्माण पूरा होने तक बचत के माध्यम से उसकी लागत वसूल हो जाएगी

नए संसद भवन के निर्माण को लेकर विपक्ष के आरोपों एवं सवालों के बारे में पूछे जाने पर बिरला ने बताया कि संसद का नया भवन हमारे आग्रह पर सरकार बना रही है। वर्तमान संसद भवन में विस्तार एवं नये समय की आवश्यकतानुसार आधुनिकीकरण कराना संभव नहीं है। इसलिए नए भवन के निर्माण की जरूरत अनुभव की गई। उन्होंने कहा कि इस बारे में विचार के लिए बुलायी गई संसद की जनरल परपज़ समिति की बैठक में सभी दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे और सभी ने संसद के नए भवन के निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी और किसी ने भी कोई सवाल नहीं उठाया था।

बिरला ने यह भी कहा कि उनकी प्रतिक्रिया सदन के दायरे में होने वाली बातों तक सीमित है। उसकी परिधि के बाहर कोई कुछ कहता है तो उस पर वह प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि संसद के नए भवन का निर्माण कोविड की दूसरी लहर से पहले निर्धारित समय सीमा से 49 दिन पहले चल रहा था लेकिन इस समय 16 दिन पीछे चल रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा।

एक सवाल के जवाब में बिरला ने कहा कि लोकसभा सचिवालय संसद के मानसून सत्र के आयोजन के लिए तैयार है। हालांकि इस बारे में कोई भी निर्णय सरकार करती है। इसी प्रकार सांसद स्थानीय विकास निधि के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि यह निधि सरकार देती है और उसी ने इसे स्थगित किया है। 

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह सदन लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर है और यहां सार्थक चर्चा, वाद-विवाद का स्थान है लेकिन व्यवधान का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के तीन सम्मेलनों और अंतरराष्ट्रीय संसदीय संघ की बैठकों में इस बात को स्वीकार किया गया। उन्होंने कहा कि लोगों को महसूस होना चाहिए कि नारेबाजी, प्लेकाडर् दिखाना, शोरशराबा करना सही नहीं है। वह संसद को एक सशक्त पारदर्शी एवं जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने वाली संस्था के रूप में सशक्त बनाना चाहते हैं।


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Content Writer

Yaspal

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