तीन तलाक पर लोकसभा में घमासान के आसार, भाजपा ने जारी किया व्हिप

punjabkesari.in Wednesday, Dec 26, 2018 - 11:58 AM (IST)

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): वीरवार को लोकसभा में गहमागहमी का माहौल रहने वाला है। लोकसभा में सरकार तीन तलाक विधेयक को फिर से पेश करेगी। इस बीच सरकार ने इसके ऊपर चर्चा कराना भी स्वीकार कर लिया है। इस विधेयक पर चर्चा के लिए सरकार और विपक्ष दोनों ने अपनी तैयारी कर ली है। चर्चा के बाद लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के लिए मतदान की संभावना भी है। इस संभावना को देखते हुए भाजपा ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को सदन में रहने को कहा है। इसके लिए भाजपा ने व्हिप भी जारी कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी हर हाल में इस विधेयक को पारति कराना चाहती है, लेकिन विपक्ष को इस कानून के कुछ हिस्सों से असहमति दिखाती रही है। यही कारण है कि तलाक ए बिद्दत (एक साथ और एक ही समय में तीन बार तलाक कहना) पर सुप्रीम के फैसले के बावजूद अब तक इस मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई है। 

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इससे पहले भी सरकार ने लोकसभा से इस विधेयक को पारित करा दिया था लेकिन राज्य सभा में बहुमत के अभाव में इसे पारित नहीं कराया जा सका। इसके बाद सरकार 19 सितम्बर को इसके ऊपर अध्यादेश लाई थी। बता दें कि इससे पहले 17 दिसम्बर को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारी हंगामे के बीच लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया था। उन्होंने कहा था कि तीन तलाक की कुरीति से मुस्लिम महिलाओं को संरक्षण प्रदान करना इस विधेय का उद्देश्य है। लेकिन इस विधेयक पर चर्चा को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े के आग्रह पर टाल दिया था। सुमित्रा महाजन द्वारा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) सांसद एन के प्रेमचंद्रन को विधेयक पर बोलने के लिए कहने के तुरंत बाद खडग़े ने चर्चा को 27 दिसम्बर तक टालने के लिए आग्रह किया था। इसके बाद इस विधेयक को 27 दिसम्बर को विधायी कार्य के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें इस पर विचार और पारित किया जाना था। 

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क्यों है विवाद 
मुस्लिम महिला विवाह संरक्षण विधेयक पर सरकार और विपक्ष आमने सामने है। सरकार इसे कुप्रथा मानती है और सख्ती से रोकने की पक्षधर है। इसलिए तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत)को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा है। साथ ही आरोपी पति के सजा और पीड़िता के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया है जबकि कांग्रेस सहित तमाम पार्टियां तीन तलाक को अपराध बनाने के खिलाफ है। उनका कहना है कि जब तीन तलाक ही मान्य नहीं है, ऐसे में यह अपराध कैसे होगा। साथ ही परिवार के बिखरने का भी तर्क दे रही हैं। 

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विधेयक में किए गए संशोधन 

  • केवल महिला एवं उसके परिवार का सदस्य ही शिकायत कर सकते हैं। पहले वाले विधेयक में कोई बाहरी व्यक्ति भी शिकायत कर सकता था। 
  • यदि पति समझौता करना चाहता है, तो महिला को शिकायत वापस लेने का विकल्प दिया गया है। पहले यह प्रावधान नहीं था। 
  • यह अपराध गैर जमानती रहेगा लेकिन मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार दिया गया। 

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vasudha

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