Election Diary: जब गया लाल ने 15 दिन में तीन बार बदली पार्टी
punjabkesari.in Thursday, May 09, 2019 - 11:23 AM (IST)

इलैक्शन डैस्क: इस लोकसभा चुनाव के दौरान कई बड़े चेहरे दल बदल रहे हैं। कुछ टिकट काटने से नाराज होकर पार्टी बदल रहे हैं तो कुछ बेहतर पद के लालच में दूसरी पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं। हालांकि आजकल यह सारा खेल चुनाव के दौरान होता है क्योंकि विधायक या सांसद पद खोने के डर से जल्दी पार्टी नहीं बदलते लेकिन देश की राजनीति में हमेशा ऐसा नहीं था। भारत की सियासत में ऐसे दिन भी देखे गए हैं जब नेता एक दिन में 2-2 पाॢटयां बदल लेते थे। 30 अक्तूबर, 1967 को हरियाणा के विधायक गया लाल ने एक दिन के भीतर 2 बार पार्टी बदल कर इस मामले में रिकार्ड कायम किया था। उन्होंने 15 दिन में 3 बार पार्टी बदल ली थी।
अधिकतर आजाद थे कांग्रेस के बागी
दरअसल हरियाणा के गठन के बाद उस समय वहां पहला विधानसभा चुनाव हुआ था और कांग्रेस को 81 में से 48 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ था जबकि भारतीय जनसंघ को 12 और आजाद उम्मीदवारों को 16 सीटें हासिल हुई थीं, इनमें से अधिकतर आजाद उम्मीदवार कांग्रेस के बागी थे। कांग्रेस के मुख्यमंत्री भगवत दयाल ने 10 मार्च, 1967 को शपथ ली लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही उनकी सरकार ने विधानसभा में बहुमत खो दिया क्योंकि कांग्रेस के 12 विधायकों ने बागी होकर नई हरियाणा कांग्रेस का गठन कर लिया जबकि आजाद विधायकों ने मिलकर नवीन हरियाणा नाम की पार्टी बना ली।
सियासत में ‘आया राम, गया राम’ की कहावत हुई थी प्रचलित
इस बीच कांग्रेस पार्टी से कुछ अन्य विधायक भी टूट गए और विपक्ष द्वारा गठित किए गए यूनाइटेड फ्रंट की संख्या बढ़कर 48 हो गई और यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में राव बीरेंद्र सिंह ने 24 मार्च को शपथ ली लेकिन विधायकों की दल बदली का सिलसिला जारी रहा। इसी दौरान 30 अक्तूबर, 1967 को 9 घंटे के भीतर यूनाइटिड फ्रंट की सरकार से विपक्ष में और फिर वापस सरकार में आ गए। उनकी इस दल-बदली के बाद ही सियासत में ‘आया राम, गया राम’ की कहावत प्रचलित हुई। हालांकि बाद में राजनीतिक अस्थिरता के बाद नवंबर में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।