ट्रंप की तरह हमें भी अपने देश के लिए फैसले लेने होंगे- बोले अजित पवार
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 02:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि भारत को भी अपने लोगों के लाभ के लिए अपने निर्णय खुद लेने होंगे, जैसे कि अमेरिका अपने लिए करता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ाना जरूरी है। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयातित ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 1 अक्टूबर से 100 % टैरिफ लगाने का फैसला किया है। पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने कहा कि किसी भी देश के नेता द्वारा लिए गए निर्णय का सम्मान करना जरूरी है, लेकिन हमारा जिम्मा है कि हम अपने देश के हित में अपने निर्णय सम्मानजनक तरीके से लें और स्वदेशी उत्पादों का अधिक से अधिक उपयोग करें।
उन्होंने कहा,“ठीक है, हम अपने देश के बारे में निर्णय ले सकते हैं, जैसे वे अपने देश के लिए निर्णय ले रहे हैं। अगर ट्रम्प या किसी अन्य देश का नेता कोई निर्णय लेता है, तो यह इसलिए है क्योंकि उस देश के लोगों ने उन्हें चुना है और वे अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। हमारा जिम्मा है कि हम अपने देश से जुड़े किसी भी निर्णय का सम्मानजनक तरीके से जवाब दें और अपने देश में बने उत्पादों (स्वदेशी उत्पादों) का उपयोग बढ़ाएं।”
अजित पवार ने महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन को याद करते हुए कहा,“अब यह संदेश हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी दोहराया गया है। हमारी आज़ादी को 75 साल हो चुके हैं और अब हमारे देश में कई चीजें उच्च गुणवत्ता वाली उपलब्ध हैं, जो विदेश से आयात की तुलना में बेहतर हैं। वास्तव में कई चीजें जैसे कपड़े आदि यहां बनती हैं, लेकिन उन्हें विदेश में ‘उनके देश का बना’ बता कर बेच दिया जाता है।”
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भारत का फार्मास्यूटिकल सेक्टर दुनिया की 50 % वैक्सीन की मांग को पूरा करता है। अमेरिका में 40% जेनेरिक दवाओं की मांग पूरी करता है और यूके में 25 % दवाओं की आपूर्ति करता है। भारत का वार्षिक दवा और फार्मा निर्यात वित्तीय वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें मार्च में सालाना 31% की वृद्धि हुई। सरकारी रिलीज के अनुसार दवा और फार्मास्यूटिकल निर्यात अगस्त 2024 में 2.35 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अगस्त 2025 में 2.51 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 6.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
एक अलग सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री दुनिया में मात्रा के हिसाब से तीसरे और उत्पादन मूल्य के हिसाब से चौदहवें स्थान पर है। यह वैश्विक वैक्सीन की 50 प्रतिशत मांग और अमेरिका को 40 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करता है। इस उद्योग के 2030 तक 130 अरब अमेरिकी डॉलर और 2047 तक 450 अरब अमेरिकी डॉलर के बाजार तक पहुँचने का अनुमान है।