Lal Bahadur Shastri: गंगा नदी तैरकर पढ़ने जाते थे लाल बहादुर शास्त्री, प्रधानमंत्री रहते लोन पर ली थी कार

punjabkesari.in Wednesday, Oct 02, 2024 - 02:52 AM (IST)

नेशनल डेस्कः 2 अक्टूबर को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है। लाल बहादुर शास्त्री का पूरा जीवन दुनिया के लिए प्रेरणा है। जीवन के शुरुआती दिनों के संघर्ष से लेकर प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचने तक उनके जीवन की कई कहानियां आज भी दुनिया को प्रेरित करती हैं। उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा के दम पर देश के शक्तिशाली विकास में अहम भूमिका निभाई थी। गुदड़ी के लाल कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की कुछ कहानियां हैं, जो लोगों को प्रेरणा देती हैं। आइए आपको शास्त्री जी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं...

बचपन और स्कूली शिक्षा
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। बचपन में उन्हें प्यार से नन्हे कहकर पुकारा जाता था। शास्त्री जी जाति व्यवस्था के विरोधी थे, इसलिए उन्होंने अपने नाम से अपना सरनेम हटा लिया। शास्त्री जी को अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। डेढ़ साल की उम्र में ही इनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद इनका लालन पालन इनके चाचा ने किया।

स्कूल जाने के लिए इन्हे रोजाना मीलों पैदल चलना और गंगा नदी को पार करना पड़ता था। नाव से नदी पार करने के लिए पर्याप्त पैसा न होने की वजह से ये रोजाना दो बार गंगा नदी तैरकर स्कूल पहुंचते और वापस आते थे। नदी पार करते समय किताबों को सिर पर बांध लिया करते, जिससे वो गीली न हों। 

ऐसे जुड़ा नाम में 'शास्त्री'
'शास्त्री' शब्द एक 'विद्वान' या एक ऐसे व्यक्ति को इंगित करता है जिसे शास्त्रों की अच्छी जानकारी हो। 1925 में काशी विद्यापीठ (वाराणसी) से स्नातक होने के बाद इनको "शास्त्री" की उपाधि दी गई थी। 15 अगस्त, 1947 को उन्हें पुलिस और परिवहन मंत्री नियुक्त किया गया था। 1951 में ये नई दिल्ली आए और केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई विभागों का संचालन किया। वह रेल मंत्री, गृह मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री, परिवहन और संचार मंत्री और फिर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री भी रहे।

प्रधानमंत्री होते हुए भी लेना पड़ा लोन
कहा जाता है कि जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे तब उनके परिवार ने उनके सामने एक कार खरीदने की इच्छा जाहिर की, उस समय फिएट कार के लिए उन्हें 12,000 रुपये की जरूरत थी, लेकिन उनके पास केवल 7000 रुपये थे, तब कार खरीदने के लिए शास्त्री जी ने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपए लोन के लिए आवेदन किया था। 

शास्त्री जी की यह कार आज भी नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखी है. साल 1965 और 1966 में सूखे की मार से उभरने के लिए इन्होंने श्वेत क्रांति आंदोलन शुरू किया जिसने किसानों से गेहूं और चावल उगाने का आह्वान किया. पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 09 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे। 

शास्त्री जी का कार्यकाल 11 जनवरी 1966 तक चला, क्योंकि 11 जनवरी, 1966 को ही उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनका निधन हो गया था। शास्त्री जी भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद समझौता करने ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने गए थे, और मुलाकात के चन्द घंटों बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Pardeep

Related News