श्रम संहिता संशोधन विधेयक 2019 को राज्यसभा से मिली मंजूरी, जानिए क्या होंगे फायदे?

punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2019 - 08:20 PM (IST)

नई दिल्लीः संसद ने शुक्रवार को असंगठित क्षेत्र सहित देश भर के कामगारों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाने एवं मजदूरी के मामले में महिला-पुरुषों के बीच भेदभाव को समाप्त करने के प्रावधानों वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने इन महत्वपूर्ण प्रावधानों वाले मजदूरी संहिता 2019 को आठ के मुकाबले 85 मतों से पारित कर दिया। उच्च सदन ने विधेयक पर लाये गये विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
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इससे पहले उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम कल्याण मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि इस विधेयक के जरिये ऐसा पहली बार हो रहा है कि देश के असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ कामगारों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी कई राज्यों में न्यूनतम मजदूरी को लेकर एक समानता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक के जरिये न्यूनतम मजदूरी की राशि तय नहीं की गयी है। इसे संबंधित समिति तय करेगी।
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प्रत्येक पांच साल में की जाएगी वेतन राशि की समीक्षा
गंगवार ने कहा कि विधेयक में न्यूनतम मजदूरी की राशि की पांच साल में समीक्षा का प्रावधान किया गया है किंतु राज्य सरकारें चाहें तो इससे पहले भी यह समीक्षा कर सकती हैं। गंगवार ने कहा कि श्रम मामलों की स्थायी समिति ने भी विधेयक पर लगभग एक साल तक विचार करने के बाद इस पर कुल 24 सिफारिशें दी थीं, इनमें से 17 को विधेयक में शामिल किया गया है।

गंगवार ने कहा, ‘‘संगठित क्षेत्र के लोगों को निर्धारित पारिश्रमिक के दायरे में लाना आसान है, लेकिन असंगठित क्षेत्र को इस दायरे में लाना सोच से भी आगे की बात है।'' उन्होंने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के तहत एक नयी सुबह की शुरुआत हो चुकी है।
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कर्मचारियों के लिए बनाई गईं चार संहिताएं
विधेयक के उद्देश्यों में बताया गया है कि ये निवेशकों की सहूलियत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगी। ये चार संहिताएं वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध से जुड़ी हैं। मजदूरी संहिता सभी कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और वेतन सीमा पर ध्‍यान दिए बिना सभी कर्मचारियों के लिए न्‍यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान को सार्वभौमिक बनाता है।

वर्तमान में न्‍यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन का भुगतान अधिनियम दोनों को एक विशेष वेतन सीमा से कम और अनुसूचित रोजगारों में नियोजित कामगारों पर ही लागू करने के प्रावधान हैं। इस विधेयक से हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हर कामगार को न्‍यूनतम वेतन मिले, जिससे कामगार की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्‍यवस्‍था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
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न्‍यूनतम जीवन यापन की स्थितियों के आधार पर गणना किये जाने वाले वैधानिक स्‍तर वेतन की शुरूआत से देश में गुणवत्‍तापूर्ण जीवन स्‍तर को बढ़ावा मिलेगा और लगभग 50 करोड़ कामगार इससे लाभान्वित होंगे। इस विधेयक में राज्‍यों द्वारा कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को अधिसूचित करने का प्रावधान है।

क्या है नया श्रम संहिता विधेयक

  • विधेयक में न्यूनतम वेतन 24,000 करने का प्रावधान
  • विधेयक में न्यूनतम मजदूरी की राशि की पांच साल में समीक्षा का प्रावधान किया गया है
  • 50 करोड़ कामगारों को मिलेगा लाभ
  • चार संहिताएं वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध से जुड़ी हैं।
  • हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा
  • कामगार के खरीदने की क्षमता बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
  • निवेशकों की सहूलियत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगी
  • विधेयक में राज्‍यों द्वारा कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को अधिसूचित करने का प्रावधान
     

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Yaspal

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