कूलभूषण जाधव पर पाकिस्तान के झूठे आरोंपों को कबूल करने का दबाव: विदेश मंत्रालय

punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2019 - 07:33 PM (IST)

इस्लामाबादः भारत ने आज कहा कि तीन साल से पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव आज राजनयिक संपकर् के दौरान पाकिस्तान के अत्यधिक दबाव में दिखायी दिये और इस बारे में विस्तृत रिपोटर् मिलने के बाद आगे की कारर्वाई का फैसला किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस बारे में संवाददाताओं के प्रश्नों के जवाब में एक बयान में बताया कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के प्रभारी उप उच्चायुक्त गौरव आहलूवालिया ने आज दोपहर में श्री कुलभूषण जाधव से मुलाकात की। PunjabKesari

यह बैठक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा 17 जुलाई 2019 को दिये गये फैसले के आलोक में हुई जिसमें पाकिस्तान को राजनयिक संबंधों पर 1963 की विएना संधि के अनेक प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया गया था और पाकिस्तान को जाधव को भारतीय राजनयिकों से संपकर् सुलभ कराने का आदेश दिया गया था। कुमार ने कहा कि हालांकि इस मुलाकात के बारे में विस्तृत रिपोटर् की प्रतीक्षा है, पर एक बात बहुत स्पष्ट है कि जाधव पाकिस्तान के निराधार दावों को बल देने के लिए एक झूठी कहानी सुनाने के अत्यधिक दबाव में दिखायी दिये। हम उप उच्चायुक्त से विस्तृत रिपोर्ट मिलने के बाद देखेंगे कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों का किस हद तक अनुपालन किया गया और फिर आगे की कारर्वाई के बारे में फैसला करेंगे। 
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प्रवक्ता ने बताया कि इस मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जाधव की मां को फोन किया और उन्हें आज की मुलाकात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जाधव को राजनयिक संपर्क अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप पाकिस्तान के लिए एक बाध्यता थी। इस आदेश में जाधव को फर्जी प्रक्रिया के माध्यम से दी गयी सजा और उन्हें दोषी ठहराये जाने के फैसलों पर पुनर्विचार एवं समीक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया है। कुमार ने कहा कि सरकार जाधव को न्याय दिलाने एवं उनकी सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए निरंतर काम करने के प्रति वचनबद्ध है।   

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।   पाकिस्तान सरकार ने कल श्री जाधव से राजनयिक संपकर् का प्रस्ताव भारत को भेजा था। विदेश मंत्रालय ने सुबह बताया था कि उप उच्चायुक्त श्री आहलूवालिया दोपहर में उनसे मिलेंगे। भारत ने आशा जतायी थी कि पाकिस्तान इस मुलाकात के पहले उचित वातावरण तैयार करेगा ताकि बैठक पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय अदालत के आदेशों के अनुरूप स्वतंत्र, निष्पक्ष, सार्थक एवं प्रभावी रहे। इस मुलाकात के लिए दो घंटे का वक्त दिया गया था।       

क्या है वियना संधि?
आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधों को लेकर सबसे पहले 1961 में वियना सम्मेलन हुआ। इसके तहत एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय संधि का प्रावधान किया गया, जिसमें राजनियकों को विशेष अधिकार दिए गए। इसके आधार पर ही राजनियकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का प्रावधान किया गया है।


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Tanuja

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