जानिए कौन हैं जस्टिस यूयू ललित, जो अयोध्या मामले से हुए अलग

punjabkesari.in Thursday, Jan 10, 2019 - 12:38 PM (IST)

नेशनल डेस्कः राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले की सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस यू.यू. ललित ने आज खुद को इस केस की सुनवाई से अलग कर लिया है। जस्टिस ललित के पीछे हटने के बाद अब इस केस की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट नई पीठ का गठन करेगी और इस मामले में अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी।
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कौन हैं जस्टिस यूयू ललित

  • 9 नवंबर, 1957 को महाराष्ट्र में जन्म जस्टिस उदय उमेश ललित जाने-माने वकील रह चुके हैं।
  • दिसंबर 1985 तक बंबई हाईकोर्ट में वकालत की और उसके बाद 1986 में दिल्ली में वकालत शुरू की।
  • अप्रैल,2004 में वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बने और कई पदों पर रहे।
  • 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए।
  • 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्ति होंगे।

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क्यों अलग हुए राम मंदिर केस से
राम मंदिर में सुप्रीम कोर्ट में पीठ के बैठते ही मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि जस्टिस ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पैरवी करने के लिए 1994 में अदालत में पेश हुए थे। हालांकि धवन ने कहा कि वह जस्टिस ललित के मामले की सुनवाई से अलग होने की मांग नहीं कर रहे। धवन की आपत्ति के बाद जस्टिस ललित ने फैसला लिया कि वे अब इस केस में पीठ में शामिल नहीं होंगे और खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया
 
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1994 में की थी कल्याण सिंह की पैरवी
6 दिसंबर 1992 को कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दिया था कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को यथावत रखा जाएगा लेकिन वे अपने वचन को निभा नहीं पाए और 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी को ध्वस्त कर दिया गया। बाबरी पर अपना वचन नहीं निभा पाने पर 24 अक्तूबर 1994 को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना पर कल्याण सिंह को एक दिन की सजा और 20 हजार रुपए जुर्माने की सजा भी सुनाई थी। इसी मामले में जस्सिट यूयू ललित कल्याण सिंह की तरफ से पेश हुए थे और उनकी पैरवी की थी।

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इन मामलों में भी कर चुके हैं पैरवी

  • सोहराबुद्दीन शेख एवं तुलसीराम प्रजापित फर्जी एनकाउंटर मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का पक्ष रख चुके हैं।
  • काला हिरण शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान की पैरवी कर चुके हैं।
  • भ्रष्टाचार मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पैरवी कर चुके हैं।
  • जन्मतिथि केस में जनरल वीके सिंह की पैरवी कर चुके हैं।
  • जस्टिस ललित तीन तलाक को अंसवैधानिक करार देने वाली पीठ में भी शामिल थे।
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Seema Sharma

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