जानिए क्या है महिला आरक्षण बिल, पास होने पर कितनी बदल जाएगी देश की सियासत?
punjabkesari.in Monday, Sep 18, 2023 - 10:54 PM (IST)
नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी गई। सूत्रों ने बताया कि महिला आरक्षण बिल को कल संसद में पेश किया जाएगा। बिल के संसद से पास हो जाने के बाद देश में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण रिजर्व हो जाएगा।
महिला आरक्षण विधेयक क्या है?
पिछले कई दिनों से चर्चा में बना हुआ महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। लगभग 27 वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक पर नए सिरे से जोर दिए जाने के बीच आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 प्रतिशत से कम है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है। यह बिल सबसे पहले 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था। विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा समय में लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं, जोकि कुल सांसदों का मात्र 14 प्रतिशत है। वहीं राज्यसभा में मात्र 32 महिला सांसद हैं, जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत है।
बिल के समर्थन में कौन-कौन?
संसद के विशेष सत्र शुरू होने से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''सभी विपक्षी दलों ने इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण बिल पारित करने की मांग की।'' बीजेपी के सहयोगी और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ''हम सरकार से अपील करते हैं कि वह इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे।'' बीजद और बीआरएस सहित कई क्षेत्रीय दलों ने भी महिला आरक्षण बिल पेश करने की मांग की थी। बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा ने कहा कि नए संसद भवन से एक नए युग की शुरुआत होनी चाहिए और महिला आरक्षण विधेयक पारित होना चाहिए। माना जा रहा था कि इस बिल का सभी दल समर्थन करेंगे। हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि पुराने बिल में कुछ बदलाव हो सकते हैं, जिसके बाद ही समर्थन करने वाले दलों की स्थिति साफ हो पाएगी।
आखिरी बार 2010 में पेश हुआ था बिल
इस मुद्दे पर आखिरी चर्चा 2010 में हुई थी जब राज्यसभा ने हंगामे के बीच विधेयक को पारित कर दिया था, जिसमें मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर निकाला था, जिन्होंने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने के कदम का विरोध किया था, यह बिल लोकसभा में पारित नहीं हो सका था।
बिल की आवश्यकता क्यों है?
पंचायत चुनाव से लेकर राज्यों की विधानसभाओं, विधान परिषदों और देश की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। बिल को कानूनी मान्यता मिलने के बाद देश की सियासत से लेकर सरकारी नौकरी निजी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी। वर्तमान लोकसभा में, 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 का 15 प्रतिशत से भी कम है। वहीं राज्यसभा में मात्र 32 महिला सांसद हैं, जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत है। इसके अलावा अगर राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना सहित कई राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है। दिसंबर 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 10-12 प्रतिशत महिला विधायक थीं।