बीयर सस्ती या रम महंगी? जान लीजिए किस शराब पर सरकार काटती है सबसे ज़्यादा टैक्स
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 09:54 AM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत में शराब का सेवन करने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। लोग अपनी सुविधा और पसंद के अनुसार देसी से लेकर महंगी ब्रांडेड शराब तक खरीदते हैं जिससे राज्य सरकारों को बड़ी मात्रा में राजस्व (राजस्व) प्राप्त होता है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि राज्य सरकार शराब, बीयर या रम में से किस पर सबसे ज़्यादा टैक्स वसूलती है।
बीयर बनाम हार्ड लिकर: टैक्स का गणित
भारत में शराब पर लगने वाला टैक्स मुख्य रूप से एक्साइज ड्यूटी (आबकारी शुल्क) और वैट (मूल्य वर्धित कर) के रूप में लिया जाता है और इसकी दरें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं।
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बीयर पर कम टैक्स: देश के कई राज्यों में बीयर और वाइन पर बहुत कम टैक्स लगाया जाता है। इनमें से सबसे कम टैक्स अक्सर बीयर पर होता है। उदाहरण के लिए केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में बीयर पर लगने वाला टैक्स हार्ड लिकर (कड़ी शराब) की तुलना में काफी कम है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि बीयर में अल्कोहल की मात्रा कम होती है और इसे 'लाइट ड्रिंक' की श्रेणी में रखा जाता है।
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हार्ड लिकर पर ज़्यादा टैक्स: वहीं हार्ड लिकर (जैसे व्हिस्की, रम, वोदका) पर अक्सर ज़्यादा एक्साइज ड्यूटी और वैट लगाया जाता है। इसका मुख्य कारण इनमें अल्कोहल की अधिक मात्रा होना है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में हार्ड लिकर पर टैक्स दर 64 प्रतिशत से लेकर 83 प्रतिशत तक है। यह टैक्स दर सीधे तौर पर शराब की अंतिम कीमत को प्रभावित करती है जिससे यह आम जनता के लिए महंगी हो जाती है।
सरकार के लिए राजस्व का प्रमुख स्रोत
अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो हार्ड लिकर, रम आदि पर सामान्यतः बीयर की तुलना में कहीं अधिक टैक्स लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हार्ड लिकर राज्य सरकारों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत होता है। सरकारें शराब की बिक्री पर भारी टैक्स लगाकर अपने खजाने को भरती हैं जिसका उपयोग फिर विभिन्न विकास कार्यों और जनकल्याणकारी योजनाओं में किया जाता है।
इस तरह आपकी पसंदीदा ड्रिंक पर लगने वाला टैक्स सीधे तौर पर राज्य सरकार की आय और आपके खर्च को प्रभावित करता है।