ना हेलीकॉप्टर उड़ता है, ना कोई चढ़ाई कर पाता है! जानें कैलाश पर्वत के अनसुलझे रहस्यों के बारे में
punjabkesari.in Wednesday, Jul 09, 2025 - 06:31 AM (IST)

नेशनल डेस्कः कैलाश पर्वत न केवल एक पवित्र तीर्थ स्थल है, बल्कि यह दुनिया के सबसे रहस्यमय और अबूझ पर्वतों में भी गिना जाता है। लगभग 5 वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू हो चुकी है। यह यात्रा जितनी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, उतनी ही भौगोलिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय रही है।
धार्मिक महत्व: चार धर्मों का पवित्र केंद्र
कैलाश पर्वत सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन धर्म के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।
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हिंदू धर्म में: इसे भगवान शिव और माता पार्वती का दिव्य निवास माना गया है।
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बौद्ध धर्म में: यह चक्रसंवर और वज्रयान साधना का केंद्र माना जाता है।
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जैन धर्म में: मान्यता है कि पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने यहीं मोक्ष प्राप्त किया।
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बोन धर्म में: यह पवित्र पर्वत आत्मिक शक्तियों का केंद्र है।
क्यों नहीं चढ़ पाया कोई कैलाश पर्वत पर?
धार्मिक कारण:
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शिव का निवास: चढ़ाई को ईश्वरीय मर्यादा का उल्लंघन माना जाता है।
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पवित्र आत्माओं का वास: मान्यता है कि इस स्थान पर केवल पुण्यात्माएं और देवता ही निवास कर सकते हैं।
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पाप का कारक: चढ़ाई को धार्मिक दृष्टि से पाप की श्रेणी में माना गया है।
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अदृश्य शक्तियां: यात्रियों द्वारा रहस्यमयी शक्तियों, अजीब प्रकाश, ध्वनियों, और दिशाहीनता की घटनाओं की पुष्टि की गई है।
वैज्ञानिक और भौगोलिक कारण:
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बेहद खड़ी और बर्फीली चट्टानें
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कम ऑक्सीजन और वायुदाब: जिससे शरीर में संतुलन और ऊर्जा की भारी कमी आती है।
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चुंबकीय विकिरण: कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्वत से उच्च-स्तरीय चुंबकीय तरंगें निकलती हैं, जिससे दिमागी भ्रम और कंपास फेल हो जाते हैं।
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अत्यधिक ठंड और अप्रत्याशित मौसम
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भू-गर्भीय संरचना: कैलाश पर्वत की आकृति एक सटीक पिरामिड की तरह है, जिससे इसकी भू-संरचना दुनिया के किसी भी पर्वत से अलग है।
अब तक किसने की कोशिश?
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अब तक दर्जनों अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहियों ने कैलाश पर्वत की चढ़ाई की कोशिश की है, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका।
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ऐसा माना जाता है कि सिर्फ एक व्यक्ति बौद्ध संत मिलारेपा (11वीं शताब्दी) ही कैलाश की चोटी तक पहुंचे और सुरक्षित लौटे। यह घटना भी आध्यात्मिक चमत्कार के रूप में दर्ज है।
हेलीकॉप्टर या प्लेन क्यों नहीं उड़ते कैलाश पर्वत पर?
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धार्मिक प्रतिबंध: पवित्र स्थल के ऊपर से उड़ान भरना भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।
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कम हवा का दबाव: इतनी ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर के रोटर प्रभावी ढंग से काम नहीं करते।
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मौसमी अनिश्चितता: अचानक मौसम बदलने से उड़ानें अत्यधिक जोखिमपूर्ण हो जाती हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025: क्या बदला है?
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5 साल के अंतराल के बाद भारत और तिब्बत प्रशासन की अनुमति से यात्रा फिर शुरू हुई है।
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अब यात्री उत्तराखंड के पिथौरागढ़ या सिक्किम मार्ग के जरिए कैलाश के दर्शन के लिए निकल सकते हैं।
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विशेष मेडिकल जांच, मौसम पूर्वानुमान और सैटेलाइट आधारित निगरानी प्रणाली के साथ सुरक्षा को और पुख्ता किया गया है।
क्या कैलाश पर्वत सुलझ पाएगा कभी?
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वैज्ञानिक अब भी कैलाश पर्वत की संरचना, विद्युत-चुंबकीय प्रभाव और रहस्यमय गतिविधियों को लेकर शोध कर रहे हैं।
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लेकिन धार्मिक मान्यताओं के चलते इस पर किसी तरह की चढ़ाई या वैज्ञानिक हस्तक्षेप को सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलती है।
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. पंजाब केसरी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)