सिख समुदाय पर ''12 बजे'' का मजाक उड़ाने पर किरण बेदी ने मांगी माफी, कहा- मैं क्षमा चाहती हूं
punjabkesari.in Wednesday, Jun 15, 2022 - 12:55 PM (IST)
नई दिल्ली: पुडुचेरी की पूर्व राज्यपाल और भाजपा नेता किरण बेदी ने सिखों पर दिए अपने विवादास्पद टिप्पणी पर माफी मांगी है। दरअसल, इससे पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने किरण बेदी की विवादास्पद टिप्पणी की निंदा की थी जिसके बाद अब किरण बेदी ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी और कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से नहीं पढ़ा जाना चाहिए।
सिख समुदाय पर '12 बजे' का मजाक
दरअसल, बेदी ने अपनी किताब 'फियरलेस गवर्नेंस' के विमोचन के दौरान कथित तौर पर सिख समुदाय पर '12 बजे' का मजाक उड़ाया था। इसी क्रम में किरण बेदी ने ट्वीट कर लिखा कि मैं अपने समुदाय के लिए सर्वोच्च सम्मान रखती हूं। मैं बाबा नानक देव जी की भक्त हूं। मैंने अपनी कीमत पर भी दर्शकों से जो कहा कृपया गलत न पढ़ें। मैं इसके लिए क्षमा चाहती हूं। मैं आखिरी व्यक्ति हूं जिसने किसी को चोट पहुंचाई। मैं सेवा और दयालुता में विश्वास रखती हूं। बेदी ने कहा कि हमने उसी सुबह पाठ और सेवा की। मैं एक भक्त हूं। मैं हर समय बाबा का आशीर्वाद चाहती हूं। मैंने दिन की शुरुआत पाथ इन हाउस से की। कृपया मेरी मंशा पर संदेह न करें।
We did Path and Seva same morning. I am a devotee. I seek Baba’s blessings all the way. I started the day with Path in the house. Please do not doubt my intention. I have the highest regards and admiration for my community and my Faith. pic.twitter.com/ClW0DuuyoG
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) June 14, 2022
बता दें कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को सोमवार को अपनी पुस्तक 'फीयरलेस गवर्नेंस' के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर सिखों को लेकर '12 बजे' संबंधी व्यंग्य करते हुए देखा गया।
किरण बेदी की टिप्पणी की निंदा की गई, बताया 12 बजे का इतिहास
ऐसे में आप के पंजाब प्रभारी जरनैल सिंह ने बेदी की टिप्पणी की निंदा की थी। उन्होंने ट्वीट कर निशाना साधा था कि जब मुगल भारत को लूटकर और बहन-बेटियों को अगवा कर ले जा रहे होते थे, तब सिख ही उनसे डटकर लड़ते थे और बहन-बेटियों की रक्षा करते थे। 12 बजे था मुगलों पर हमला करने का समय। यह है 12 बजे का इतिहास। शर्म आनी चाहिए भाजपा के छोटी सोच वाले नेताओं को, जो सम्मान देने के बजाय सिखों का मजाक उड़ाते हैं।