केरल: प्रोफेसर का हाथ काटने के मामले में तीन लोगों को उम्रकैद की सजा, एनआईए कोर्ट ने सुनाया फैसला

punjabkesari.in Thursday, Jul 13, 2023 - 09:27 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केरल में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 2010 में एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटे जाने के सनसनीखेज मामले में दोषी ठहराये गये छह लोगों में से तीन को बृहस्पतिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इसे एक ‘‘आतंकवादी कृत्य'' बताया जिसके लिए दोषी ‘‘किसी भी उदारता के पात्र नहीं हैं।'' इडुक्की जिले के थोडुपुझा में न्यूमैन कॉलेज के प्रोफेसर टी. जे. जोसेफ का दाहिना हाथ चार जुलाई, 2010 को मौजूदा प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कथित सदस्यों ने काट दिया था।

एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश अनिल के. भास्कर ने मामले के दूसरे चरण की सुनवाई में बुधवार को इन लोगों में से तीन साजिल, नासर और नजीब को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अंतर्गत हत्या, साजिश रचने और अन्य अपराधों के साथ सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दोषी ठहराया गया था और आज इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। शेष तीन दोषियों नौशाद, पी. पी. मोइदीन कुन्हू और अयूब को मामले में अपराधियों को शरण देने के लिए तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह एक आतंकवादी कृत्य है। देश और उसके नागरिकों को भी बहुत नुकसान हुआ।

आतंकवाद को सभ्यता, सुरक्षा और मानवता के लिए छह सबसे गंभीर खतरों में से एक माना गया है। दोषियों का कृत्य हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए एक चुनौती है।'' अदालत ने कहा कि दोषियों के ‘‘इस असभ्य कृत्य'' को ‘‘बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और दोषी किसी भी उदारता के पात्र नहीं हैं।'' विशेष अदालत ने यह भी कहा कि नागरिकों को असामाजिक तत्वों के हाथों किसी भी प्रकार के भय या धमकी या खतरे का शिकार नहीं होने का मौलिक अधिकार है। अदालत ने कहा, ‘‘मामले के दोषियों ने अपनी हिंसक आतंकवादी गतिविधियों से वास्तव में लोगों के मन में दहशत पैदा कर दी थी। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए आरोपियों को कड़ी सजा देना बहुत जरूरी है।''

साजिल को विशेष अदालत ने यूएपीए के तहत आतंकवादी कृत्य करने और आतंकी कृत्य करने की साजिश रचने, आईपीसी के तहत हत्या का प्रयास करने और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत विस्फोटकों के इस्तेमाल के अपराध के लिए 10-10 साल की सजा सुनाई। अदालत ने साजिल की मांग के अनुसार स्वास्थ्य के आधार पर उसे कोई रियायत देने से इनकार कर दिया और कहा कि जेल अधीक्षक को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देकर उसकी चिकित्सा संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। अदालत ने नासर और नजीब को भी हत्या के प्रयास और विस्फोटकों के इस्तेमाल के प्रत्येक अपराध के लिए 10 साल की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

अदालत ने दोषियों पर कुल चार लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और निर्देश दिया कि इसे पीड़ित जोसेफ को दिया जाए। मामले की सुनवाई के दूसरे चरण में बुधवार को अदालत ने छह लोगों को दोषी ठहराया था। सुनवाई के पहले चरण में 10 लोगों को यूएपीए के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और आईपीसी के तहत दोषी करार दिया गया था। इसके अलावा अदालत ने तीन अन्य को आरोपियों को शरण देने के लिए भी दोषी करार दिया था। अदालत ने तीन को दोषी ठहराते हुए कहा था कि दूसरा आरोपी साजिल हमले में शामिल था जबकि तीसरा आरोपी नासर मामले में मुख्य साजिशकर्ता है और पांचवे आरोपी नजीब ने इस 'आतंकवादी कृत्य' की सारी योजना बनाई थी लेकिन इसमें शामिल नहीं हुआ।

यह हमला उस वक्त किया गया था जब वह (प्रोफेसर) अपने परिवार के साथ एर्नाकुलम जिले के मूवाट्टुपुझा स्थित एक गिरजाघर से रविवार की प्रार्थना के बाद घर लौट रहे थे। सात लोगों के समूह ने प्रोफेसर जोसेफ का वाहन रोका, उन्हें बाहर खींचा और उनके साथ मारपीट कर उनका दाहिना हाथ काट दिया। घटना का मुख्य आरोपी सवाद अभी भी फरार है। मामले की शुरुआती जांच करने वाली पुलिस के मुताबिक, आरोपी न्यूमैन कॉलेज में बी.कॉम की सेमेस्टर परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र में जोसेफ की कथित अपमानजनक धार्मिक टिप्पणियों को लेकर उनकी जान लेना चाहते थे। यह प्रश्न पत्र जोसेफ ने तैयार किया था।

 


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Content Editor

rajesh kumar

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