केसी वेणुगोपाल ने ओम बिरला को लिखा पत्र, इमरजेंसी पर उनकी टिप्पणी को लेकर जताई नाराजगी
punjabkesari.in Thursday, Jun 27, 2024 - 04:50 PM (IST)
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नेशनल डेस्क: कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को जून 1975 में लगाए गए आपातकाल के संबंध में संसद में दिए गए उनके बयान को लेकर एक पत्र लिखा। उन्होंने इसे एक गंभीर मामला बताया, जिससे संसद की विश्वसनीयता पर असर पड़ा है।
कांग्रेस सांसद ने लिखा, "मैं यह पत्र संसद की संस्था की विश्वसनीयता पर प्रभाव डालने वाले एक बहुत गंभीर मामले के संदर्भ में लिख रहा हूं। कल यानी 26 जून 2024 को, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपके चुनाव पर बधाई देने के समय सदन में सामान्य सौहार्दपूर्ण माहौल था, जैसा कि ऐसे अवसरों पर होता है।"
अध्यक्ष की ओर से यह कहा जाना और भी गंभीर बात
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष की आपातकाल संबंधी टिप्पणी को "चौंकाने वाला" बताते हुए लिखा, "हालांकि, इसके बाद जो हुआ, जो कि आपके स्वीकृति भाषण के बाद अध्यक्ष की ओर से आधी सदी पहले आपातकाल की घोषणा के बारे में किया गया उल्लेख है, वह बेहद चौंकाने वाला है। अध्यक्ष की ओर से इस तरह का राजनीतिक उल्लेख संसद के इतिहास में अभूतपूर्व है।" नवनिर्वाचित अध्यक्ष के 'प्रथम कर्तव्यों' में से एक के रूप में अध्यक्ष की ओर से यह कहा जाना और भी गंभीर बात है।" पत्र के अंत में कहा गया है, "मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से संसदीय परंपराओं के इस उपहास पर अपनी गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त करता हूं।"
एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्पीकर के मुंह से राजनीतिक बयानबाजी से बचा जा सकता था। कांग्रेस सांसद ने एएनआई से कहा, "लोकसभा अध्यक्ष ने आज आधिकारिक तौर पर राहुल गांधी को विपक्ष का नेता घोषित किया। उनसे मिलना और उनका धन्यवाद करना राहुल गांधी की ओर से शिष्टाचार था। कल अध्यक्ष के मुंह से राजनीतिक बयानबाजी से बचा जा सकता था, इस तरह का राजनीतिक संदेश सहयोग का संदेश नहीं देगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या था? यह पिछली बार जैसा ही था। कुछ भी नया नहीं था। देश के युवाओं, महिलाओं, गरीबों, किसानों के लिए कोई उम्मीद नहीं थी।"
इससे पहले बुधवार को लोकसभा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। अध्यक्ष ओम बिरला ने इस कृत्य की निंदा करते हुए प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि 25 जून, 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। 1975 में लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, बिरला ने उन सभी लोगों की शक्ति और दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की, जिन्होंने आपातकाल का पुरजोर विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की।