कारगिल वॉर का हीरो-5 गोलियां लगीं, फिर भी 48 पाकिस्तानियों को मारकर फहराया था तिरंगा
punjabkesari.in Sunday, Jul 26, 2020 - 12:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पूरा देश आज करगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है। मई से लेकर 26 जुलाई तक चले कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अदम्य साहस दिखाया था। पूरी दुनिया ने तब भारत की ताकत का लोहा माना था। पाकिस्तान भारतीय सेना के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गया था। भारत की वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह करते हुए भारत माता की रक्षा की और दुश्मनों को खदेड़ दिया।
करगिल युद्ध में शहीद हुए जवान हमेशा अपने शोर्य के लिए याद किए जाएंगे। करगिल युद्ध के दौरान 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। इस युद्ध में भारत के करीब पांच सौ जवान शहीद हुए थे। कई शहीद वीर जवान ऐसे भी हैं जिनकी गाथा को आज भी याद किया जाता है इसमें से एक हैं रिटायर्ड फौजी दिगेंद्र सिंह। राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिगेंद्र ने करगिल वार में पाकिस्तानी फौज का डटकार सामना किया था।
लगी थीं 5 गोलियां फिर भी डटे रहे
नायक दिगेंद्र महावीर चक्र विजेता है। उन्होंने करगिल युद्ध के समय जम्मू कश्मीर में तोलोलिंग पहाड़ी की बर्फीली चोटी को मुक्त करवाकर 13 जून 1999 की सुबह 4 बजे तिरंगा लहराते हुए भारत को पहली जीत दिलाई थी। करगिल युद्ध के दौरान दिगेंद्र को पांच गोलियां लगी थीं, फिर भी उन्होंने कुल 48 पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को मार गिराया था।भारत सरकार ने उनको 15 अगस्त 1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया।
काट दिया था पाक मेजर का सिर
कारगिल युद्ध के दौरान दिगेंद्र ने चाकू से पाकिस्तान के मेजर अनवर का सिर काटकर उसमें तिरंगा फहराया था। दिगेंद्र को इंडियन आर्मी को बेस्ट कोबरा कमांडो के रूप में भी जाना जाता था। वे सेना की सबसे बेहतरीन बटालियन 2 राजपूताना रायफल्स में थे। दिगेद्र सिंह 2005 में रिटायर हुए थे।
अकेले पाकिस्तान के 11 बंकर किए नष्ट
दिगेंद्र अपने साथियों के साथ दुश्मन के बिल्कुल करीब जा पहुंचे थे। उन्होंने दुश्मन के बंकर में एक हथगोला फेंका। जोर से धमाका हुआ और अंदर से आवाज आई, अल्हा हू अकबर। काफिर का हमला। दिगेंद्र ने दुश्मन का पहला बंकर नष्ट कर दिया था। हालांकि फायरिंग में दिगेंद्र बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। उनके सीने में तीन गोलियां लगी थी, पैर बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। रुल पांच गोलियां लगने के बाद भी दिगेंद्र ने हिमम्त नहीं हारी और मोर्चे पर डटे रहे। बहते खून में दिगेंद्र ने अकेले ही दुश्मनों के 11 बंकरों में 18 हथगोले फेंके और सारे पाकिस्तानी बंकरों को नष्ट कर दिया।